चौपाई
पुनि पुनि पूँछत मंत्रहि राऊ। प्रियतम सुअन सँदेस सुनाऊ।।
करहि सखा सोइ बेगि उपाऊ। रामु लखनु सिय नयन देखाऊ।।
सचिव धीर धरि कह मुदु बानी। महाराज तुम्ह पंडित ग्यानी।।
बीर सुधीर धुरंधर देवा। साधु समाजु सदा तुम्ह सेवा।।
जनम मरन सब दुख भोगा। हानि लाभ प्रिय मिलन बियोगा।।
काल करम बस हौहिं गोसाईं। बरबस राति दिवस की नाईं।।
सुख हरषहिं जड़ दुख बिलखाहीं। दोउ सम धीर धरहिं मन माहीं।।
धीरज धरहु बिबेकु बिचारी। छाड़िअ सोच सकल हितकारी।।
दोहा/सोरठा