1.1.154

चौपाई
नृप हितकारक सचिव सयाना। नाम धरमरुचि सुक्र समाना।।
सचिव सयान बंधु बलबीरा। आपु प्रतापपुंज रनधीरा।।
सेन संग चतुरंग अपारा। अमित सुभट सब समर जुझारा।।
सेन बिलोकि राउ हरषाना। अरु बाजे गहगहे निसाना।।
बिजय हेतु कटकई बनाई। सुदिन साधि नृप चलेउ बजाई।।
जँह तहँ परीं अनेक लराईं। जीते सकल भूप बरिआई।।
सप्त दीप भुजबल बस कीन्हे। लै लै दंड छाड़ि नृप दीन्हें।।
सकल अवनि मंडल तेहि काला। एक प्रतापभानु महिपाला।।

दोहा/सोरठा
स्वबस बिस्व करि बाहुबल निज पुर कीन्ह प्रबेसु।
अरथ धरम कामादि सुख सेवइ समयँ नरेसु।।154।।

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