चौपाई
आवत देखि अधिक रव बाजी। चलेउ बराह मरुत गति भाजी।।
तुरत कीन्ह नृप सर संधाना। महि मिलि गयउ बिलोकत बाना।।
तकि तकि तीर महीस चलावा। करि छल सुअर सरीर बचावा।।
प्रगटत दुरत जाइ मृग भागा। रिस बस भूप चलेउ संग लागा।।
गयउ दूरि घन गहन बराहू। जहँ नाहिन गज बाजि निबाहू।।
अति अकेल बन बिपुल कलेसू। तदपि न मृग मग तजइ नरेसू।।
कोल बिलोकि भूप बड़ धीरा। भागि पैठ गिरिगुहाँ गभीरा।।
अगम देखि नृप अति पछिताई। फिरेउ महाबन परेउ भुलाई।।
दोहा/सोरठा
खेद खिन्न छुद्धित तृषित राजा बाजि समेत।
खोजत ब्याकुल सरित सर जल बिनु भयउ अचेत।।157।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.157
Pages |
ramcharitmanas
1.157
चौपाई
आवत देखि अधिक रव बाजी। चलेउ बराह मरुत गति भाजी।।
तुरत कीन्ह नृप सर संधाना। महि मिलि गयउ बिलोकत बाना।।
तकि तकि तीर महीस चलावा। करि छल सुअर सरीर बचावा।।
प्रगटत दुरत जाइ मृग भागा। रिस बस भूप चलेउ संग लागा।।
गयउ दूरि घन गहन बराहू। जहँ नाहिन गज बाजि निबाहू।।
अति अकेल बन बिपुल कलेसू। तदपि न मृग मग तजइ नरेसू।।
कोल बिलोकि भूप बड़ धीरा। भागि पैठ गिरिगुहाँ गभीरा।।
अगम देखि नृप अति पछिताई। फिरेउ महाबन परेउ भुलाई।।
दोहा/सोरठा
खेद खिन्न छुद्धित तृषित राजा बाजि समेत।
खोजत ब्याकुल सरित सर जल बिनु भयउ अचेत।।157।।
Pages |