123

4.1.123

चौपाई
ಮುಕುತ ನ ಭಏ ಹತೇ ಭಗವಾನಾ. ತೀನಿ ಜನಮ ದ್ವಿಜ ಬಚನ ಪ್ರವಾನಾ..
ಏಕ ಬಾರ ತಿನ್ಹ ಕೇ ಹಿತ ಲಾಗೀ. ಧರೇಉ ಸರೀರ ಭಗತ ಅನುರಾಗೀ..
ಕಸ್ಯಪ ಅದಿತಿ ತಹಾಪಿತು ಮಾತಾ. ದಸರಥ ಕೌಸಲ್ಯಾ ಬಿಖ್ಯಾತಾ..
ಏಕ ಕಲಪ ಏಹಿ ಬಿಧಿ ಅವತಾರಾ. ಚರಿತ್ರ ಪವಿತ್ರ ಕಿಏ ಸಂಸಾರಾ..
ಏಕ ಕಲಪ ಸುರ ದೇಖಿ ದುಖಾರೇ. ಸಮರ ಜಲಂಧರ ಸನ ಸಬ ಹಾರೇ..
ಸಂಭು ಕೀನ್ಹ ಸಂಗ್ರಾಮ ಅಪಾರಾ. ದನುಜ ಮಹಾಬಲ ಮರಇ ನ ಮಾರಾ..
ಪರಮ ಸತೀ ಅಸುರಾಧಿಪ ನಾರೀ. ತೇಹಿ ಬಲ ತಾಹಿ ನ ಜಿತಹಿಂ ಪುರಾರೀ..

दोहा/सोरठा
ಛಲ ಕರಿ ಟಾರೇಉ ತಾಸು ಬ್ರತ ಪ್ರಭು ಸುರ ಕಾರಜ ಕೀನ್ಹ..
ಜಬ ತೇಹಿ ಜಾನೇಉ ಮರಮ ತಬ ಶ್ರಾಪ ಕೋಪ ಕರಿ ದೀನ್ಹ..123..

3.7.123

चौपाई
શ્લોક વિનિચ્શ્રિતં વદામિ તે ન અન્યથા વચાંસિ મે।
હરિં નરા ભજન્તિ યેતિદુસ્તરં તરન્તિ તે।।122ગ।।
કહેઉનાથ હરિ ચરિત અનૂપા। બ્યાસ સમાસ સ્વમતિ અનુરુપા।।
શ્રુતિ સિદ્ધાંત ઇહઇ ઉરગારી। રામ ભજિઅ સબ કાજ બિસારી।।
પ્રભુ રઘુપતિ તજિ સેઇઅ કાહી। મોહિ સે સઠ પર મમતા જાહી।।
તુમ્હ બિગ્યાનરૂપ નહિં મોહા। નાથ કીન્હિ મો પર અતિ છોહા।।
પૂછિહુરામ કથા અતિ પાવનિ। સુક સનકાદિ સંભુ મન ભાવનિ।।
સત સંગતિ દુર્લભ સંસારા। નિમિષ દંડ ભરિ એકઉ બારા।।
દેખુ ગરુડ઼ નિજ હૃદયબિચારી। મૈં રઘુબીર ભજન અધિકારી।।

3.2.123

चौपाई
આગે રામુ લખનુ બને પાછેં। તાપસ બેષ બિરાજત કાછેં।।
ઉભય બીચ સિય સોહતિ કૈસે। બ્રહ્મ જીવ બિચ માયા જૈસે।।
બહુરિ કહઉછબિ જસિ મન બસઈ। જનુ મધુ મદન મધ્ય રતિ લસઈ।।
ઉપમા બહુરિ કહઉજિયજોહી। જનુ બુધ બિધુ બિચ રોહિનિ સોહી।।
પ્રભુ પદ રેખ બીચ બિચ સીતા। ધરતિ ચરન મગ ચલતિ સભીતા।।
સીય રામ પદ અંક બરાએ લખન ચલહિં મગુ દાહિન લાએ।
રામ લખન સિય પ્રીતિ સુહાઈ। બચન અગોચર કિમિ કહિ જાઈ।।
ખગ મૃગ મગન દેખિ છબિ હોહીં। લિએ ચોરિ ચિત રામ બટોહીં।।

3.1.123

चौपाई
મુકુત ન ભએ હતે ભગવાના। તીનિ જનમ દ્વિજ બચન પ્રવાના।।
એક બાર તિન્હ કે હિત લાગી। ધરેઉ સરીર ભગત અનુરાગી।।
કસ્યપ અદિતિ તહાપિતુ માતા। દસરથ કૌસલ્યા બિખ્યાતા।।
એક કલપ એહિ બિધિ અવતારા। ચરિત્ર પવિત્ર કિએ સંસારા।।
એક કલપ સુર દેખિ દુખારે। સમર જલંધર સન સબ હારે।।
સંભુ કીન્હ સંગ્રામ અપારા। દનુજ મહાબલ મરઇ ન મારા।।
પરમ સતી અસુરાધિપ નારી। તેહિ બલ તાહિ ન જિતહિં પુરારી।।

दोहा/सोरठा
છલ કરિ ટારેઉ તાસુ બ્રત પ્રભુ સુર કારજ કીન્હ।।
જબ તેહિ જાનેઉ મરમ તબ શ્રાપ કોપ કરિ દીન્હ।।123।।

2.7.123

चौपाई
শ্লোক বিনিচ্শ্রিতং বদামি তে ন অন্যথা বচাংসি মে৷
হরিং নরা ভজন্তি যেতিদুস্তরং তরন্তি তে৷৷122গ৷৷
কহেউনাথ হরি চরিত অনূপা৷ ব্যাস সমাস স্বমতি অনুরুপা৷৷
শ্রুতি সিদ্ধাংত ইহই উরগারী৷ রাম ভজিঅ সব কাজ বিসারী৷৷
প্রভু রঘুপতি তজি সেইঅ কাহী৷ মোহি সে সঠ পর মমতা জাহী৷৷
তুম্হ বিগ্যানরূপ নহিং মোহা৷ নাথ কীন্হি মো পর অতি ছোহা৷৷
পূছিহুরাম কথা অতি পাবনি৷ সুক সনকাদি সংভু মন ভাবনি৷৷
সত সংগতি দুর্লভ সংসারা৷ নিমিষ দংড ভরি একউ বারা৷৷
দেখু গরুড় নিজ হৃদযবিচারী৷ মৈং রঘুবীর ভজন অধিকারী৷৷

2.2.123

चौपाई
আগে রামু লখনু বনে পাছেং৷ তাপস বেষ বিরাজত কাছেং৷৷
উভয বীচ সিয সোহতি কৈসে৷ ব্রহ্ম জীব বিচ মাযা জৈসে৷৷
বহুরি কহউছবি জসি মন বসঈ৷ জনু মধু মদন মধ্য রতি লসঈ৷৷
উপমা বহুরি কহউজিযজোহী৷ জনু বুধ বিধু বিচ রোহিনি সোহী৷৷
প্রভু পদ রেখ বীচ বিচ সীতা৷ ধরতি চরন মগ চলতি সভীতা৷৷
সীয রাম পদ অংক বরাএ লখন চলহিং মগু দাহিন লাএ৷
রাম লখন সিয প্রীতি সুহাঈ৷ বচন অগোচর কিমি কহি জাঈ৷৷
খগ মৃগ মগন দেখি ছবি হোহীং৷ লিএ চোরি চিত রাম বটোহীং৷৷

2.1.123

चौपाई
মুকুত ন ভএ হতে ভগবানা৷ তীনি জনম দ্বিজ বচন প্রবানা৷৷
এক বার তিন্হ কে হিত লাগী৷ ধরেউ সরীর ভগত অনুরাগী৷৷
কস্যপ অদিতি তহাপিতু মাতা৷ দসরথ কৌসল্যা বিখ্যাতা৷৷
এক কলপ এহি বিধি অবতারা৷ চরিত্র পবিত্র কিএ সংসারা৷৷
এক কলপ সুর দেখি দুখারে৷ সমর জলংধর সন সব হারে৷৷
সংভু কীন্হ সংগ্রাম অপারা৷ দনুজ মহাবল মরই ন মারা৷৷
পরম সতী অসুরাধিপ নারী৷ তেহি বল তাহি ন জিতহিং পুরারী৷৷

दोहा/सोरठा
ছল করি টারেউ তাসু ব্রত প্রভু সুর কারজ কীন্হ৷৷
জব তেহি জানেউ মরম তব শ্রাপ কোপ করি দীন্হ৷৷123৷৷

1.7.123

चौपाई
कहेउँ नाथ हरि चरित अनूपा। ब्यास समास स्वमति अनुरुपा।।
श्रुति सिद्धांत इहइ उरगारी। राम भजिअ सब काज बिसारी।।
प्रभु रघुपति तजि सेइअ काही। मोहि से सठ पर ममता जाही।।
तुम्ह बिग्यानरूप नहिं मोहा। नाथ कीन्हि मो पर अति छोहा।।
पूछिहुँ राम कथा अति पावनि। सुक सनकादि संभु मन भावनि।।
सत संगति दुर्लभ संसारा। निमिष दंड भरि एकउ बारा।।
देखु गरुड़ निज हृदयँ बिचारी। मैं रघुबीर भजन अधिकारी।।
सकुनाधम सब भाँति अपावन। प्रभु मोहि कीन्ह बिदित जग पावन।।

1.2.123

चौपाई
आगे रामु लखनु बने पाछें। तापस बेष बिराजत काछें।।
उभय बीच सिय सोहति कैसे। ब्रह्म जीव बिच माया जैसे।।
बहुरि कहउँ छबि जसि मन बसई। जनु मधु मदन मध्य रति लसई।।
उपमा बहुरि कहउँ जियँ जोही। जनु बुध बिधु बिच रोहिनि सोही।।
प्रभु पद रेख बीच बिच सीता। धरति चरन मग चलति सभीता।।
सीय राम पद अंक बराएँ। लखन चलहिं मगु दाहिन लाएँ।।
राम लखन सिय प्रीति सुहाई। बचन अगोचर किमि कहि जाई।।
खग मृग मगन देखि छबि होहीं। लिए चोरि चित राम बटोहीं।।

दोहा/सोरठा

1.1.123

चौपाई
मुकुत न भए हते भगवाना। तीनि जनम द्विज बचन प्रवाना।।
एक बार तिन्ह के हित लागी। धरेउ सरीर भगत अनुरागी।।
कस्यप अदिति तहाँ पितु माता। दसरथ कौसल्या बिख्याता।।
एक कलप एहि बिधि अवतारा। चरित्र पवित्र किए संसारा।।
एक कलप सुर देखि दुखारे। समर जलंधर सन सब हारे।।
संभु कीन्ह संग्राम अपारा। दनुज महाबल मरइ न मारा।।
परम सती असुराधिप नारी। तेहि बल ताहि न जितहिं पुरारी।।

दोहा/सोरठा
छल करि टारेउ तासु ब्रत प्रभु सुर कारज कीन्ह।।

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