172

5.2.172

चौपाई
അസ ബിചാരി കേഹി ദേഇഅ ദോസൂ. ബ്യരഥ കാഹി പര കീജിഅ രോസൂ..
താത ബിചാരു കേഹി കരഹു മന മാഹീം. സോച ജോഗു ദസരഥു നൃപു നാഹീം..
സോചിഅ ബിപ്ര ജോ ബേദ ബിഹീനാ. തജി നിജ ധരമു ബിഷയ ലയലീനാ..
സോചിഅ നൃപതി ജോ നീതി ന ജാനാ. ജേഹി ന പ്രജാ പ്രിയ പ്രാന സമാനാ..
സോചിഅ ബയസു കൃപന ധനവാനൂ. ജോ ന അതിഥി സിവ ഭഗതി സുജാനൂ..
സോചിഅ സൂദ്രു ബിപ്ര അവമാനീ. മുഖര മാനപ്രിയ ഗ്യാന ഗുമാനീ..
സോചിഅ പുനി പതി ബംചക നാരീ. കുടില കലഹപ്രിയ ഇച്ഛാചാരീ..
സോചിഅ ബടു നിജ ബ്രതു പരിഹരഈ. ജോ നഹിം ഗുര ആയസു അനുസരഈ..

5.1.172

चौपाई
ആപു ബിരചി ഉപരോഹിത രൂപാ. പരേഉ ജാഇ തേഹി സേജ അനൂപാ..
ജാഗേഉ നൃപ അനഭഏബിഹാനാ. ദേഖി ഭവന അതി അചരജു മാനാ..
മുനി മഹിമാ മന മഹുഅനുമാനീ. ഉഠേഉ ഗവി ജേഹി ജാന ന രാനീ..
കാനന ഗയഉ ബാജി ചഢ തേഹീം. പുര നര നാരി ന ജാനേഉ കേഹീം..
ഗഏജാമ ജുഗ ഭൂപതി ആവാ. ഘര ഘര ഉത്സവ ബാജ ബധാവാ..
ഉപരോഹിതഹി ദേഖ ജബ രാജാ. ചകിത ബിലോകി സുമിരി സോഇ കാജാ..
ജുഗ സമ നൃപഹി ഗഏ ദിന തീനീ. കപടീ മുനി പദ രഹ മതി ലീനീ..
സമയ ജാനി ഉപരോഹിത ആവാ. നൃപഹി മതേ സബ കഹി സമുഝാവാ..

4.2.172

चौपाई
ಅಸ ಬಿಚಾರಿ ಕೇಹಿ ದೇಇಅ ದೋಸೂ. ಬ್ಯರಥ ಕಾಹಿ ಪರ ಕೀಜಿಅ ರೋಸೂ..
ತಾತ ಬಿಚಾರು ಕೇಹಿ ಕರಹು ಮನ ಮಾಹೀಂ. ಸೋಚ ಜೋಗು ದಸರಥು ನೃಪು ನಾಹೀಂ..
ಸೋಚಿಅ ಬಿಪ್ರ ಜೋ ಬೇದ ಬಿಹೀನಾ. ತಜಿ ನಿಜ ಧರಮು ಬಿಷಯ ಲಯಲೀನಾ..
ಸೋಚಿಅ ನೃಪತಿ ಜೋ ನೀತಿ ನ ಜಾನಾ. ಜೇಹಿ ನ ಪ್ರಜಾ ಪ್ರಿಯ ಪ್ರಾನ ಸಮಾನಾ..
ಸೋಚಿಅ ಬಯಸು ಕೃಪನ ಧನವಾನೂ. ಜೋ ನ ಅತಿಥಿ ಸಿವ ಭಗತಿ ಸುಜಾನೂ..
ಸೋಚಿಅ ಸೂದ್ರು ಬಿಪ್ರ ಅವಮಾನೀ. ಮುಖರ ಮಾನಪ್ರಿಯ ಗ್ಯಾನ ಗುಮಾನೀ..
ಸೋಚಿಅ ಪುನಿ ಪತಿ ಬಂಚಕ ನಾರೀ. ಕುಟಿಲ ಕಲಹಪ್ರಿಯ ಇಚ್ಛಾಚಾರೀ..
ಸೋಚಿಅ ಬಟು ನಿಜ ಬ್ರತು ಪರಿಹರಈ. ಜೋ ನಹಿಂ ಗುರ ಆಯಸು ಅನುಸರಈ..

4.1.172

चौपाई
ಆಪು ಬಿರಚಿ ಉಪರೋಹಿತ ರೂಪಾ. ಪರೇಉ ಜಾಇ ತೇಹಿ ಸೇಜ ಅನೂಪಾ..
ಜಾಗೇಉ ನೃಪ ಅನಭಏಬಿಹಾನಾ. ದೇಖಿ ಭವನ ಅತಿ ಅಚರಜು ಮಾನಾ..
ಮುನಿ ಮಹಿಮಾ ಮನ ಮಹುಅನುಮಾನೀ. ಉಠೇಉ ಗವಿ ಜೇಹಿ ಜಾನ ನ ರಾನೀ..
ಕಾನನ ಗಯಉ ಬಾಜಿ ಚಢ ತೇಹೀಂ. ಪುರ ನರ ನಾರಿ ನ ಜಾನೇಉ ಕೇಹೀಂ..
ಗಏಜಾಮ ಜುಗ ಭೂಪತಿ ಆವಾ. ಘರ ಘರ ಉತ್ಸವ ಬಾಜ ಬಧಾವಾ..
ಉಪರೋಹಿತಹಿ ದೇಖ ಜಬ ರಾಜಾ. ಚಕಿತ ಬಿಲೋಕಿ ಸುಮಿರಿ ಸೋಇ ಕಾಜಾ..
ಜುಗ ಸಮ ನೃಪಹಿ ಗಏ ದಿನ ತೀನೀ. ಕಪಟೀ ಮುನಿ ಪದ ರಹ ಮತಿ ಲೀನೀ..
ಸಮಯ ಜಾನಿ ಉಪರೋಹಿತ ಆವಾ. ನೃಪಹಿ ಮತೇ ಸಬ ಕಹಿ ಸಮುಝಾವಾ..

3.2.172

चौपाई
અસ બિચારિ કેહિ દેઇઅ દોસૂ। બ્યરથ કાહિ પર કીજિઅ રોસૂ।।
તાત બિચારુ કેહિ કરહુ મન માહીં। સોચ જોગુ દસરથુ નૃપુ નાહીં।।
સોચિઅ બિપ્ર જો બેદ બિહીના। તજિ નિજ ધરમુ બિષય લયલીના।।
સોચિઅ નૃપતિ જો નીતિ ન જાના। જેહિ ન પ્રજા પ્રિય પ્રાન સમાના।।
સોચિઅ બયસુ કૃપન ધનવાનૂ। જો ન અતિથિ સિવ ભગતિ સુજાનૂ।।
સોચિઅ સૂદ્રુ બિપ્ર અવમાની। મુખર માનપ્રિય ગ્યાન ગુમાની।।
સોચિઅ પુનિ પતિ બંચક નારી। કુટિલ કલહપ્રિય ઇચ્છાચારી।।
સોચિઅ બટુ નિજ બ્રતુ પરિહરઈ। જો નહિં ગુર આયસુ અનુસરઈ।।

3.1.172

चौपाई
આપુ બિરચિ ઉપરોહિત રૂપા। પરેઉ જાઇ તેહિ સેજ અનૂપા।।
જાગેઉ નૃપ અનભએબિહાના। દેખિ ભવન અતિ અચરજુ માના।।
મુનિ મહિમા મન મહુઅનુમાની। ઉઠેઉ ગવિ જેહિ જાન ન રાની।।
કાનન ગયઉ બાજિ ચઢ઼િ તેહીં। પુર નર નારિ ન જાનેઉ કેહીં।।
ગએજામ જુગ ભૂપતિ આવા। ઘર ઘર ઉત્સવ બાજ બધાવા।।
ઉપરોહિતહિ દેખ જબ રાજા। ચકિત બિલોકિ સુમિરિ સોઇ કાજા।।
જુગ સમ નૃપહિ ગએ દિન તીની। કપટી મુનિ પદ રહ મતિ લીની।।
સમય જાનિ ઉપરોહિત આવા। નૃપહિ મતે સબ કહિ સમુઝાવા।।

2.2.172

चौपाई
অস বিচারি কেহি দেইঅ দোসূ৷ ব্যরথ কাহি পর কীজিঅ রোসূ৷৷
তাত বিচারু কেহি করহু মন মাহীং৷ সোচ জোগু দসরথু নৃপু নাহীং৷৷
সোচিঅ বিপ্র জো বেদ বিহীনা৷ তজি নিজ ধরমু বিষয লযলীনা৷৷
সোচিঅ নৃপতি জো নীতি ন জানা৷ জেহি ন প্রজা প্রিয প্রান সমানা৷৷
সোচিঅ বযসু কৃপন ধনবানূ৷ জো ন অতিথি সিব ভগতি সুজানূ৷৷
সোচিঅ সূদ্রু বিপ্র অবমানী৷ মুখর মানপ্রিয গ্যান গুমানী৷৷
সোচিঅ পুনি পতি বংচক নারী৷ কুটিল কলহপ্রিয ইচ্ছাচারী৷৷
সোচিঅ বটু নিজ ব্রতু পরিহরঈ৷ জো নহিং গুর আযসু অনুসরঈ৷৷

2.1.172

चौपाई
আপু বিরচি উপরোহিত রূপা৷ পরেউ জাই তেহি সেজ অনূপা৷৷
জাগেউ নৃপ অনভএবিহানা৷ দেখি ভবন অতি অচরজু মানা৷৷
মুনি মহিমা মন মহুঅনুমানী৷ উঠেউ গবি জেহি জান ন রানী৷৷
কানন গযউ বাজি চঢ়ি তেহীং৷ পুর নর নারি ন জানেউ কেহীং৷৷
গএজাম জুগ ভূপতি আবা৷ ঘর ঘর উত্সব বাজ বধাবা৷৷
উপরোহিতহি দেখ জব রাজা৷ চকিত বিলোকি সুমিরি সোই কাজা৷৷
জুগ সম নৃপহি গএ দিন তীনী৷ কপটী মুনি পদ রহ মতি লীনী৷৷
সময জানি উপরোহিত আবা৷ নৃপহি মতে সব কহি সমুঝাবা৷৷

1.2.172

चौपाई
अस बिचारि केहि देइअ दोसू। ब्यरथ काहि पर कीजिअ रोसू।।
तात बिचारु केहि करहु मन माहीं। सोच जोगु दसरथु नृपु नाहीं।।
सोचिअ बिप्र जो बेद बिहीना। तजि निज धरमु बिषय लयलीना।।
सोचिअ नृपति जो नीति न जाना। जेहि न प्रजा प्रिय प्रान समाना।।
सोचिअ बयसु कृपन धनवानू। जो न अतिथि सिव भगति सुजानू।।
सोचिअ सूद्रु बिप्र अवमानी। मुखर मानप्रिय ग्यान गुमानी।।
सोचिअ पुनि पति बंचक नारी। कुटिल कलहप्रिय इच्छाचारी।।
सोचिअ बटु निज ब्रतु परिहरई। जो नहिं गुर आयसु अनुसरई।।

1.1.172

चौपाई
आपु बिरचि उपरोहित रूपा। परेउ जाइ तेहि सेज अनूपा।।
जागेउ नृप अनभएँ बिहाना। देखि भवन अति अचरजु माना।।
मुनि महिमा मन महुँ अनुमानी। उठेउ गवँहि जेहि जान न रानी।।
कानन गयउ बाजि चढ़ि तेहीं। पुर नर नारि न जानेउ केहीं।।
गएँ जाम जुग भूपति आवा। घर घर उत्सव बाज बधावा।।
उपरोहितहि देख जब राजा। चकित बिलोकि सुमिरि सोइ काजा।।
जुग सम नृपहि गए दिन तीनी। कपटी मुनि पद रह मति लीनी।।
समय जानि उपरोहित आवा। नृपहि मते सब कहि समुझावा।।

दोहा/सोरठा

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