234

5.2.234

चौपाई
ജൌം പരിഹരഹിം മലിന മനു ജാനീ. ജൌ സനമാനഹിം സേവകു മാനീ..
മോരേം സരന രാമഹി കീ പനഹീ. രാമ സുസ്വാമി ദോസു സബ ജനഹീ..
ജഗ ജസ ഭാജന ചാതക മീനാ. നേമ പേമ നിജ നിപുന നബീനാ..
അസ മന ഗുനത ചലേ മഗ ജാതാ. സകുച സനേഹസിഥില സബ ഗാതാ..
ഫേരത മനഹുമാതു കൃത ഖോരീ. ചലത ഭഗതി ബല ധീരജ ധോരീ..
ജബ സമുഝത രഘുനാഥ സുഭാഊ. തബ പഥ പരത ഉതാഇല പാഊ..
ഭരത ദസാ തേഹി അവസര കൈസീ. ജല പ്രബാഹജല അലി ഗതി ജൈസീ..
ദേഖി ഭരത കര സോചു സനേഹൂ. ഭാ നിഷാദ തേഹി സമയബിദേഹൂ..

5.1.234

चौपाई
ധരി ധീരജു ഏക ആലി സയാനീ. സീതാ സന ബോലീ ഗഹി പാനീ..
ബഹുരി ഗൌരി കര ധ്യാന കരേഹൂ. ഭൂപകിസോര ദേഖി കിന ലേഹൂ..
സകുചി സീയതബ നയന ഉഘാരേ. സനമുഖ ദോഉ രഘുസിംഘ നിഹാരേ..
നഖ സിഖ ദേഖി രാമ കൈ സോഭാ. സുമിരി പിതാ പനു മനു അതി ഛോഭാ..
പരബസ സഖിന്ഹ ലഖീ ജബ സീതാ. ഭയഉ ഗഹരു സബ കഹഹി സഭീതാ..
പുനി ആഉബ ഏഹി ബേരിആകാലീ. അസ കഹി മന ബിഹസീ ഏക ആലീ..
ഗൂഢഗിരാ സുനി സിയ സകുചാനീ. ഭയഉ ബിലംബു മാതു ഭയ മാനീ..
ധരി ബഡ ധീര രാമു ഉര ആനേ. ഫിരി അപനപഉ പിതുബസ ജാനേ..

4.2.234

चौपाई
ಜೌಂ ಪರಿಹರಹಿಂ ಮಲಿನ ಮನು ಜಾನೀ. ಜೌ ಸನಮಾನಹಿಂ ಸೇವಕು ಮಾನೀ..
ಮೋರೇಂ ಸರನ ರಾಮಹಿ ಕೀ ಪನಹೀ. ರಾಮ ಸುಸ್ವಾಮಿ ದೋಸು ಸಬ ಜನಹೀ..
ಜಗ ಜಸ ಭಾಜನ ಚಾತಕ ಮೀನಾ. ನೇಮ ಪೇಮ ನಿಜ ನಿಪುನ ನಬೀನಾ..
ಅಸ ಮನ ಗುನತ ಚಲೇ ಮಗ ಜಾತಾ. ಸಕುಚ ಸನೇಹಸಿಥಿಲ ಸಬ ಗಾತಾ..
ಫೇರತ ಮನಹುಮಾತು ಕೃತ ಖೋರೀ. ಚಲತ ಭಗತಿ ಬಲ ಧೀರಜ ಧೋರೀ..
ಜಬ ಸಮುಝತ ರಘುನಾಥ ಸುಭಾಊ. ತಬ ಪಥ ಪರತ ಉತಾಇಲ ಪಾಊ..
ಭರತ ದಸಾ ತೇಹಿ ಅವಸರ ಕೈಸೀ. ಜಲ ಪ್ರಬಾಹಜಲ ಅಲಿ ಗತಿ ಜೈಸೀ..
ದೇಖಿ ಭರತ ಕರ ಸೋಚು ಸನೇಹೂ. ಭಾ ನಿಷಾದ ತೇಹಿ ಸಮಯಬಿದೇಹೂ..

4.1.234

चौपाई
ಧರಿ ಧೀರಜು ಏಕ ಆಲಿ ಸಯಾನೀ. ಸೀತಾ ಸನ ಬೋಲೀ ಗಹಿ ಪಾನೀ..
ಬಹುರಿ ಗೌರಿ ಕರ ಧ್ಯಾನ ಕರೇಹೂ. ಭೂಪಕಿಸೋರ ದೇಖಿ ಕಿನ ಲೇಹೂ..
ಸಕುಚಿ ಸೀಯತಬ ನಯನ ಉಘಾರೇ. ಸನಮುಖ ದೋಉ ರಘುಸಿಂಘ ನಿಹಾರೇ..
ನಖ ಸಿಖ ದೇಖಿ ರಾಮ ಕೈ ಸೋಭಾ. ಸುಮಿರಿ ಪಿತಾ ಪನು ಮನು ಅತಿ ಛೋಭಾ..
ಪರಬಸ ಸಖಿನ್ಹ ಲಖೀ ಜಬ ಸೀತಾ. ಭಯಉ ಗಹರು ಸಬ ಕಹಹಿ ಸಭೀತಾ..
ಪುನಿ ಆಉಬ ಏಹಿ ಬೇರಿಆಕಾಲೀ. ಅಸ ಕಹಿ ಮನ ಬಿಹಸೀ ಏಕ ಆಲೀ..
ಗೂಢಗಿರಾ ಸುನಿ ಸಿಯ ಸಕುಚಾನೀ. ಭಯಉ ಬಿಲಂಬು ಮಾತು ಭಯ ಮಾನೀ..
ಧರಿ ಬಡ ಧೀರ ರಾಮು ಉರ ಆನೇ. ಫಿರಿ ಅಪನಪಉ ಪಿತುಬಸ ಜಾನೇ..

3.2.234

चौपाई
જૌં પરિહરહિં મલિન મનુ જાની। જૌ સનમાનહિં સેવકુ માની।।
મોરેં સરન રામહિ કી પનહી। રામ સુસ્વામિ દોસુ સબ જનહી।।
જગ જસ ભાજન ચાતક મીના। નેમ પેમ નિજ નિપુન નબીના।।
અસ મન ગુનત ચલે મગ જાતા। સકુચ સનેહસિથિલ સબ ગાતા।।
ફેરત મનહુમાતુ કૃત ખોરી। ચલત ભગતિ બલ ધીરજ ધોરી।।
જબ સમુઝત રઘુનાથ સુભાઊ। તબ પથ પરત ઉતાઇલ પાઊ।।
ભરત દસા તેહિ અવસર કૈસી। જલ પ્રબાહજલ અલિ ગતિ જૈસી।।
દેખિ ભરત કર સોચુ સનેહૂ। ભા નિષાદ તેહિ સમયબિદેહૂ।।

3.1.234

चौपाई
ધરિ ધીરજુ એક આલિ સયાની। સીતા સન બોલી ગહિ પાની।।
બહુરિ ગૌરિ કર ધ્યાન કરેહૂ। ભૂપકિસોર દેખિ કિન લેહૂ।।
સકુચિ સીયતબ નયન ઉઘારે। સનમુખ દોઉ રઘુસિંઘ નિહારે।।
નખ સિખ દેખિ રામ કૈ સોભા। સુમિરિ પિતા પનુ મનુ અતિ છોભા।।
પરબસ સખિન્હ લખી જબ સીતા। ભયઉ ગહરુ સબ કહહિ સભીતા।।
પુનિ આઉબ એહિ બેરિઆકાલી। અસ કહિ મન બિહસી એક આલી।।
ગૂઢ઼ ગિરા સુનિ સિય સકુચાની। ભયઉ બિલંબુ માતુ ભય માની।।
ધરિ બડ઼િ ધીર રામુ ઉર આને। ફિરિ અપનપઉ પિતુબસ જાને।।

2.2.234

चौपाई
জৌং পরিহরহিং মলিন মনু জানী৷ জৌ সনমানহিং সেবকু মানী৷৷
মোরেং সরন রামহি কী পনহী৷ রাম সুস্বামি দোসু সব জনহী৷৷
জগ জস ভাজন চাতক মীনা৷ নেম পেম নিজ নিপুন নবীনা৷৷
অস মন গুনত চলে মগ জাতা৷ সকুচ সনেহসিথিল সব গাতা৷৷
ফেরত মনহুমাতু কৃত খোরী৷ চলত ভগতি বল ধীরজ ধোরী৷৷
জব সমুঝত রঘুনাথ সুভাঊ৷ তব পথ পরত উতাইল পাঊ৷৷
ভরত দসা তেহি অবসর কৈসী৷ জল প্রবাহজল অলি গতি জৈসী৷৷
দেখি ভরত কর সোচু সনেহূ৷ ভা নিষাদ তেহি সমযবিদেহূ৷৷

2.1.234

चौपाई
ধরি ধীরজু এক আলি সযানী৷ সীতা সন বোলী গহি পানী৷৷
বহুরি গৌরি কর ধ্যান করেহূ৷ ভূপকিসোর দেখি কিন লেহূ৷৷
সকুচি সীযতব নযন উঘারে৷ সনমুখ দোউ রঘুসিংঘ নিহারে৷৷
নখ সিখ দেখি রাম কৈ সোভা৷ সুমিরি পিতা পনু মনু অতি ছোভা৷৷
পরবস সখিন্হ লখী জব সীতা৷ ভযউ গহরু সব কহহি সভীতা৷৷
পুনি আউব এহি বেরিআকালী৷ অস কহি মন বিহসী এক আলী৷৷
গূঢ় গিরা সুনি সিয সকুচানী৷ ভযউ বিলংবু মাতু ভয মানী৷৷
ধরি বড়ি ধীর রামু উর আনে৷ ফিরি অপনপউ পিতুবস জানে৷৷

1.2.234

चौपाई
जौं परिहरहिं मलिन मनु जानी। जौ सनमानहिं सेवकु मानी।।
मोरें सरन रामहि की पनही। राम सुस्वामि दोसु सब जनही।।
जग जस भाजन चातक मीना। नेम पेम निज निपुन नबीना।।
अस मन गुनत चले मग जाता। सकुच सनेहँ सिथिल सब गाता।।
फेरत मनहुँ मातु कृत खोरी। चलत भगति बल धीरज धोरी।।
जब समुझत रघुनाथ सुभाऊ। तब पथ परत उताइल पाऊ।।
भरत दसा तेहि अवसर कैसी। जल प्रबाहँ जल अलि गति जैसी।।
देखि भरत कर सोचु सनेहू। भा निषाद तेहि समयँ बिदेहू।।

दोहा/सोरठा

1.1.234

चौपाई
धरि धीरजु एक आलि सयानी। सीता सन बोली गहि पानी।।
बहुरि गौरि कर ध्यान करेहू। भूपकिसोर देखि किन लेहू।।
सकुचि सीयँ तब नयन उघारे। सनमुख दोउ रघुसिंघ निहारे।।
नख सिख देखि राम कै सोभा। सुमिरि पिता पनु मनु अति छोभा।।
परबस सखिन्ह लखी जब सीता। भयउ गहरु सब कहहि सभीता।।
पुनि आउब एहि बेरिआँ काली। अस कहि मन बिहसी एक आली।।
गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी। भयउ बिलंबु मातु भय मानी।।
धरि बड़ि धीर रामु उर आने। फिरि अपनपउ पितुबस जाने।।

दोहा/सोरठा

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