299

5.2.299

चौपाई
രാഉരി രീതി സുബാനി ബഡഈ. ജഗത ബിദിത നിഗമാഗമ ഗാഈ..
കൂര കുടില ഖല കുമതി കലംകീ. നീച നിസീല നിരീസ നിസംകീ..
തേഉ സുനി സരന സാമുഹേം ആഏ. സകൃത പ്രനാമു കിഹേം അപനാഏ..
ദേഖി ദോഷ കബഹുന ഉര ആനേ. സുനി ഗുന സാധു സമാജ ബഖാനേ..
കോ സാഹിബ സേവകഹി നേവാജീ. ആപു സമാജ സാജ സബ സാജീ..
നിജ കരതൂതി ന സമുഝിഅ സപനേം. സേവക സകുച സോചു ഉര അപനേം..
സോ ഗോസാഇനഹി ദൂസര കോപീ. ഭുജാ ഉഠാഇ കഹഉപന രോപീ..
പസു നാചത സുക പാഠ പ്രബീനാ. ഗുന ഗതി നട പാഠക ആധീനാ..

5.1.299

चौपाई
ബാേ ബിരദ ബീര രന ഗാഢ. നികസി ഭഏ പുര ബാഹേര ഠാഢ..
ഫേരഹിം ചതുര തുരഗ ഗതി നാനാ. ഹരഷഹിം സുനി സുനി പവന നിസാനാ..
രഥ സാരഥിന്ഹ ബിചിത്ര ബനാഏ. ധ്വജ പതാക മനി ഭൂഷന ലാഏ..
ചവ ചാരു കിംകിന ധുനി കരഹീ. ഭാനു ജാന സോഭാ അപഹരഹീം..
സാവരന അഗനിത ഹയ ഹോതേ. തേ തിന്ഹ രഥന്ഹ സാരഥിന്ഹ ജോതേ..
സുംദര സകല അലംകൃത സോഹേ. ജിന്ഹഹി ബിലോകത മുനി മന മോഹേ..
ജേ ജല ചലഹിം ഥലഹി കീ നാഈ. ടാപ ന ബൂഡബേഗ അധികാഈ..
അസ്ത്ര സസ്ത്ര സബു സാജു ബനാഈ. രഥീ സാരഥിന്ഹ ലിഏ ബോലാഈ..

4.2.299

चौपाई
ರಾಉರಿ ರೀತಿ ಸುಬಾನಿ ಬಡಈ. ಜಗತ ಬಿದಿತ ನಿಗಮಾಗಮ ಗಾಈ..
ಕೂರ ಕುಟಿಲ ಖಲ ಕುಮತಿ ಕಲಂಕೀ. ನೀಚ ನಿಸೀಲ ನಿರೀಸ ನಿಸಂಕೀ..
ತೇಉ ಸುನಿ ಸರನ ಸಾಮುಹೇಂ ಆಏ. ಸಕೃತ ಪ್ರನಾಮು ಕಿಹೇಂ ಅಪನಾಏ..
ದೇಖಿ ದೋಷ ಕಬಹುನ ಉರ ಆನೇ. ಸುನಿ ಗುನ ಸಾಧು ಸಮಾಜ ಬಖಾನೇ..
ಕೋ ಸಾಹಿಬ ಸೇವಕಹಿ ನೇವಾಜೀ. ಆಪು ಸಮಾಜ ಸಾಜ ಸಬ ಸಾಜೀ..
ನಿಜ ಕರತೂತಿ ನ ಸಮುಝಿಅ ಸಪನೇಂ. ಸೇವಕ ಸಕುಚ ಸೋಚು ಉರ ಅಪನೇಂ..
ಸೋ ಗೋಸಾಇನಹಿ ದೂಸರ ಕೋಪೀ. ಭುಜಾ ಉಠಾಇ ಕಹಉಪನ ರೋಪೀ..
ಪಸು ನಾಚತ ಸುಕ ಪಾಠ ಪ್ರಬೀನಾ. ಗುನ ಗತಿ ನಟ ಪಾಠಕ ಆಧೀನಾ..

4.1.299

चौपाई
ಬಾೇ ಬಿರದ ಬೀರ ರನ ಗಾಢ. ನಿಕಸಿ ಭಏ ಪುರ ಬಾಹೇರ ಠಾಢ..
ಫೇರಹಿಂ ಚತುರ ತುರಗ ಗತಿ ನಾನಾ. ಹರಷಹಿಂ ಸುನಿ ಸುನಿ ಪವನ ನಿಸಾನಾ..
ರಥ ಸಾರಥಿನ್ಹ ಬಿಚಿತ್ರ ಬನಾಏ. ಧ್ವಜ ಪತಾಕ ಮನಿ ಭೂಷನ ಲಾಏ..
ಚವ ಚಾರು ಕಿಂಕಿನ ಧುನಿ ಕರಹೀ. ಭಾನು ಜಾನ ಸೋಭಾ ಅಪಹರಹೀಂ..
ಸಾವರನ ಅಗನಿತ ಹಯ ಹೋತೇ. ತೇ ತಿನ್ಹ ರಥನ್ಹ ಸಾರಥಿನ್ಹ ಜೋತೇ..
ಸುಂದರ ಸಕಲ ಅಲಂಕೃತ ಸೋಹೇ. ಜಿನ್ಹಹಿ ಬಿಲೋಕತ ಮುನಿ ಮನ ಮೋಹೇ..
ಜೇ ಜಲ ಚಲಹಿಂ ಥಲಹಿ ಕೀ ನಾಈ. ಟಾಪ ನ ಬೂಡಬೇಗ ಅಧಿಕಾಈ..
ಅಸ್ತ್ರ ಸಸ್ತ್ರ ಸಬು ಸಾಜು ಬನಾಈ. ರಥೀ ಸಾರಥಿನ್ಹ ಲಿಏ ಬೋಲಾಈ..

3.2.299

चौपाई
રાઉરિ રીતિ સુબાનિ બડ઼ાઈ। જગત બિદિત નિગમાગમ ગાઈ।।
કૂર કુટિલ ખલ કુમતિ કલંકી। નીચ નિસીલ નિરીસ નિસંકી।।
તેઉ સુનિ સરન સામુહેં આએ। સકૃત પ્રનામુ કિહેં અપનાએ।।
દેખિ દોષ કબહુન ઉર આને। સુનિ ગુન સાધુ સમાજ બખાને।।
કો સાહિબ સેવકહિ નેવાજી। આપુ સમાજ સાજ સબ સાજી।।
નિજ કરતૂતિ ન સમુઝિઅ સપનેં। સેવક સકુચ સોચુ ઉર અપનેં।।
સો ગોસાઇનહિ દૂસર કોપી। ભુજા ઉઠાઇ કહઉપન રોપી।।
પસુ નાચત સુક પાઠ પ્રબીના। ગુન ગતિ નટ પાઠક આધીના।।

3.1.299

चौपाई
બાે બિરદ બીર રન ગાઢ઼ે। નિકસિ ભએ પુર બાહેર ઠાઢ઼ે।।
ફેરહિં ચતુર તુરગ ગતિ નાના। હરષહિં સુનિ સુનિ પવન નિસાના।।
રથ સારથિન્હ બિચિત્ર બનાએ। ધ્વજ પતાક મનિ ભૂષન લાએ।।
ચવ ચારુ કિંકિન ધુનિ કરહી। ભાનુ જાન સોભા અપહરહીં।।
સાવરન અગનિત હય હોતે। તે તિન્હ રથન્હ સારથિન્હ જોતે।।
સુંદર સકલ અલંકૃત સોહે। જિન્હહિ બિલોકત મુનિ મન મોહે।।
જે જલ ચલહિં થલહિ કી નાઈ। ટાપ ન બૂડ઼ બેગ અધિકાઈ।।
અસ્ત્ર સસ્ત્ર સબુ સાજુ બનાઈ। રથી સારથિન્હ લિએ બોલાઈ।।

2.2.299

चौपाई
রাউরি রীতি সুবানি বড়াঈ৷ জগত বিদিত নিগমাগম গাঈ৷৷
কূর কুটিল খল কুমতি কলংকী৷ নীচ নিসীল নিরীস নিসংকী৷৷
তেউ সুনি সরন সামুহেং আএ৷ সকৃত প্রনামু কিহেং অপনাএ৷৷
দেখি দোষ কবহুন উর আনে৷ সুনি গুন সাধু সমাজ বখানে৷৷
কো সাহিব সেবকহি নেবাজী৷ আপু সমাজ সাজ সব সাজী৷৷
নিজ করতূতি ন সমুঝিঅ সপনেং৷ সেবক সকুচ সোচু উর অপনেং৷৷
সো গোসাইনহি দূসর কোপী৷ ভুজা উঠাই কহউপন রোপী৷৷
পসু নাচত সুক পাঠ প্রবীনা৷ গুন গতি নট পাঠক আধীনা৷৷

2.1.299

चौपाई
বাে বিরদ বীর রন গাঢ়ে৷ নিকসি ভএ পুর বাহের ঠাঢ়ে৷৷
ফেরহিং চতুর তুরগ গতি নানা৷ হরষহিং সুনি সুনি পবন নিসানা৷৷
রথ সারথিন্হ বিচিত্র বনাএ৷ ধ্বজ পতাক মনি ভূষন লাএ৷৷
চব চারু কিংকিন ধুনি করহী৷ ভানু জান সোভা অপহরহীং৷৷
সাবরন অগনিত হয হোতে৷ তে তিন্হ রথন্হ সারথিন্হ জোতে৷৷
সুংদর সকল অলংকৃত সোহে৷ জিন্হহি বিলোকত মুনি মন মোহে৷৷
জে জল চলহিং থলহি কী নাঈ৷ টাপ ন বূড় বেগ অধিকাঈ৷৷
অস্ত্র সস্ত্র সবু সাজু বনাঈ৷ রথী সারথিন্হ লিএ বোলাঈ৷৷

1.2.299

चौपाई
राउरि रीति सुबानि बड़ाई। जगत बिदित निगमागम गाई।।
कूर कुटिल खल कुमति कलंकी। नीच निसील निरीस निसंकी।।
तेउ सुनि सरन सामुहें आए। सकृत प्रनामु किहें अपनाए।।
देखि दोष कबहुँ न उर आने। सुनि गुन साधु समाज बखाने।।
को साहिब सेवकहि नेवाजी। आपु समाज साज सब साजी।।
निज करतूति न समुझिअ सपनें। सेवक सकुच सोचु उर अपनें।।
सो गोसाइँ नहि दूसर कोपी। भुजा उठाइ कहउँ पन रोपी।।
पसु नाचत सुक पाठ प्रबीना। गुन गति नट पाठक आधीना।।

दोहा/सोरठा

1.1.299

चौपाई
बाँधे बिरद बीर रन गाढ़े। निकसि भए पुर बाहेर ठाढ़े।।
फेरहिं चतुर तुरग गति नाना। हरषहिं सुनि सुनि पवन निसाना।।
रथ सारथिन्ह बिचित्र बनाए। ध्वज पताक मनि भूषन लाए।।
चवँर चारु किंकिन धुनि करही। भानु जान सोभा अपहरहीं।।
सावँकरन अगनित हय होते। ते तिन्ह रथन्ह सारथिन्ह जोते।।
सुंदर सकल अलंकृत सोहे। जिन्हहि बिलोकत मुनि मन मोहे।।
जे जल चलहिं थलहि की नाई। टाप न बूड़ बेग अधिकाई।।
अस्त्र सस्त्र सबु साजु बनाई। रथी सारथिन्ह लिए बोलाई।।

दोहा/सोरठा

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