345

10.1.345

चौपाई
భూప భవన తేహి అవసర సోహా. రచనా దేఖి మదన మను మోహా..
మంగల సగున మనోహరతాఈ. రిధి సిధి సుఖ సంపదా సుహాఈ..
జను ఉఛాహ సబ సహజ సుహాఏ. తను ధరి ధరి దసరథ దసరథ గృహఛాఏ..
దేఖన హేతు రామ బైదేహీ. కహహు లాలసా హోహి న కేహీ..
జుథ జూథ మిలి చలీం సుఆసిని. నిజ ఛబి నిదరహిం మదన బిలాసని..
సకల సుమంగల సజేం ఆరతీ. గావహిం జను బహు బేష భారతీ..
భూపతి భవన కోలాహలు హోఈ. జాఇ న బరని సమఉ సుఖు సోఈ..
కౌసల్యాది రామ మహతారీం. ప్రేమ బిబస తన దసా బిసారీం..

9.1.345

चौपाई
பூப பவந தேஹி அவஸர ஸோஹா. ரசநா தேகி மதந மநு மோஹா..
மஂகல ஸகுந மநோஹரதாஈ. ரிதி ஸிதி ஸுக ஸஂபதா ஸுஹாஈ..
ஜநு உசாஹ ஸப ஸஹஜ ஸுஹாஏ. தநு தரி தரி தஸரத தஸரத கரிஹசாஏ..
தேகந ஹேது ராம பைதேஹீ. கஹஹு லாலஸா ஹோஹி ந கேஹீ..
ஜுத ஜூத மிலி சலீஂ ஸுஆஸிநி. நிஜ சபி நிதரஹிஂ மதந பிலாஸநி..
ஸகல ஸுமஂகல ஸஜேஂ ஆரதீ. காவஹிஂ ஜநு பஹு பேஷ பாரதீ..
பூபதி பவந கோலாஹலு ஹோஈ. ஜாஇ ந பரநி ஸமஉ ஸுகு ஸோஈ..
கௌஸல்யாதி ராம மஹதாரீஂ. ப்ரேம பிபஸ தந தஸா பிஸாரீஂ..

8.1.345

चौपाई
bhūpa bhavana tēhi avasara sōhā. racanā dēkhi madana manu mōhā..
maṃgala saguna manōharatāī. ridhi sidhi sukha saṃpadā suhāī..
janu uchāha saba sahaja suhāē. tanu dhari dhari dasaratha dasaratha gṛhaom chāē..
dēkhana hētu rāma baidēhī. kahahu lālasā hōhi na kēhī..
jutha jūtha mili calīṃ suāsini. nija chabi nidarahiṃ madana bilāsani..
sakala sumaṃgala sajēṃ āratī. gāvahiṃ janu bahu bēṣa bhāratī..
bhūpati bhavana kōlāhalu hōī. jāi na barani samau sukhu sōī..

7.1.345

चौपाई
ਭੂਪ ਭਵਨ ਤੇਹਿ ਅਵਸਰ ਸੋਹਾ। ਰਚਨਾ ਦੇਖਿ ਮਦਨ ਮਨੁ ਮੋਹਾ।।
ਮਂਗਲ ਸਗੁਨ ਮਨੋਹਰਤਾਈ। ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ਸੁਖ ਸਂਪਦਾ ਸੁਹਾਈ।।
ਜਨੁ ਉਛਾਹ ਸਬ ਸਹਜ ਸੁਹਾਏ। ਤਨੁ ਧਰਿ ਧਰਿ ਦਸਰਥ ਦਸਰਥ ਗਰਿਹਛਾਏ।।
ਦੇਖਨ ਹੇਤੁ ਰਾਮ ਬੈਦੇਹੀ। ਕਹਹੁ ਲਾਲਸਾ ਹੋਹਿ ਨ ਕੇਹੀ।।
ਜੁਥ ਜੂਥ ਮਿਲਿ ਚਲੀਂ ਸੁਆਸਿਨਿ। ਨਿਜ ਛਬਿ ਨਿਦਰਹਿਂ ਮਦਨ ਬਿਲਾਸਨਿ।।
ਸਕਲ ਸੁਮਂਗਲ ਸਜੇਂ ਆਰਤੀ। ਗਾਵਹਿਂ ਜਨੁ ਬਹੁ ਬੇਸ਼ ਭਾਰਤੀ।।
ਭੂਪਤਿ ਭਵਨ ਕੋਲਾਹਲੁ ਹੋਈ। ਜਾਇ ਨ ਬਰਨਿ ਸਮਉ ਸੁਖੁ ਸੋਈ।।
ਕੌਸਲ੍ਯਾਦਿ ਰਾਮ ਮਹਤਾਰੀਂ। ਪ੍ਰੇਮ ਬਿਬਸ ਤਨ ਦਸਾ ਬਿਸਾਰੀਂ।।

6.1.345

चौपाई
ଭୂପ ଭବନ ତେହି ଅବସର ସୋହା| ରଚନା ଦେଖି ମଦନ ମନୁ ମୋହା||
ମଂଗଲ ସଗୁନ ମନୋହରତାଈ| ରିଧି ସିଧି ସୁଖ ସଂପଦା ସୁହାଈ||
ଜନୁ ଉଛାହ ସବ ସହଜ ସୁହାଏ| ତନୁ ଧରି ଧରି ଦସରଥ ଦସରଥ ଗୃହଛାଏ||
ଦେଖନ ହେତୁ ରାମ ବୈଦେହୀ| କହହୁ ଲାଲସା ହୋହି ନ କେହୀ||
ଜୁଥ ଜୂଥ ମିଲି ଚଲୀଂ ସୁଆସିନି| ନିଜ ଛବି ନିଦରହିଂ ମଦନ ବିଲାସନି||
ସକଲ ସୁମଂଗଲ ସଜେଂ ଆରତୀ| ଗାବହିଂ ଜନୁ ବହୁ ବେଷ ଭାରତୀ||
ଭୂପତି ଭବନ କୋଲାହଲୁ ହୋଈ| ଜାଇ ନ ବରନି ସମଉ ସୁଖୁ ସୋଈ||
କୌସଲ୍ଯାଦି ରାମ ମହତାରୀଂ| ପ୍ରେମ ବିବସ ତନ ଦସା ବିସାରୀଂ||

5.1.345

चौपाई
ഭൂപ ഭവന തേഹി അവസര സോഹാ. രചനാ ദേഖി മദന മനു മോഹാ..
മംഗല സഗുന മനോഹരതാഈ. രിധി സിധി സുഖ സംപദാ സുഹാഈ..
ജനു ഉഛാഹ സബ സഹജ സുഹാഏ. തനു ധരി ധരി ദസരഥ ദസരഥ ഗൃഹഛാഏ..
ദേഖന ഹേതു രാമ ബൈദേഹീ. കഹഹു ലാലസാ ഹോഹി ന കേഹീ..
ജുഥ ജൂഥ മിലി ചലീം സുആസിനി. നിജ ഛബി നിദരഹിം മദന ബിലാസനി..
സകല സുമംഗല സജേം ആരതീ. ഗാവഹിം ജനു ബഹു ബേഷ ഭാരതീ..
ഭൂപതി ഭവന കോലാഹലു ഹോഈ. ജാഇ ന ബരനി സമഉ സുഖു സോഈ..
കൌസല്യാദി രാമ മഹതാരീം. പ്രേമ ബിബസ തന ദസാ ബിസാരീം..

4.1.345

चौपाई
ಭೂಪ ಭವನ ತೇಹಿ ಅವಸರ ಸೋಹಾ. ರಚನಾ ದೇಖಿ ಮದನ ಮನು ಮೋಹಾ..
ಮಂಗಲ ಸಗುನ ಮನೋಹರತಾಈ. ರಿಧಿ ಸಿಧಿ ಸುಖ ಸಂಪದಾ ಸುಹಾಈ..
ಜನು ಉಛಾಹ ಸಬ ಸಹಜ ಸುಹಾಏ. ತನು ಧರಿ ಧರಿ ದಸರಥ ದಸರಥ ಗೃಹಛಾಏ..
ದೇಖನ ಹೇತು ರಾಮ ಬೈದೇಹೀ. ಕಹಹು ಲಾಲಸಾ ಹೋಹಿ ನ ಕೇಹೀ..
ಜುಥ ಜೂಥ ಮಿಲಿ ಚಲೀಂ ಸುಆಸಿನಿ. ನಿಜ ಛಬಿ ನಿದರಹಿಂ ಮದನ ಬಿಲಾಸನಿ..
ಸಕಲ ಸುಮಂಗಲ ಸಜೇಂ ಆರತೀ. ಗಾವಹಿಂ ಜನು ಬಹು ಬೇಷ ಭಾರತೀ..
ಭೂಪತಿ ಭವನ ಕೋಲಾಹಲು ಹೋಈ. ಜಾಇ ನ ಬರನಿ ಸಮಉ ಸುಖು ಸೋಈ..
ಕೌಸಲ್ಯಾದಿ ರಾಮ ಮಹತಾರೀಂ. ಪ್ರೇಮ ಬಿಬಸ ತನ ದಸಾ ಬಿಸಾರೀಂ..

3.1.345

चौपाई
ભૂપ ભવન તેહિ અવસર સોહા। રચના દેખિ મદન મનુ મોહા।।
મંગલ સગુન મનોહરતાઈ। રિધિ સિધિ સુખ સંપદા સુહાઈ।।
જનુ ઉછાહ સબ સહજ સુહાએ। તનુ ધરિ ધરિ દસરથ દસરથ ગૃહછાએ।।
દેખન હેતુ રામ બૈદેહી। કહહુ લાલસા હોહિ ન કેહી।।
જુથ જૂથ મિલિ ચલીં સુઆસિનિ। નિજ છબિ નિદરહિં મદન બિલાસનિ।।
સકલ સુમંગલ સજેં આરતી। ગાવહિં જનુ બહુ બેષ ભારતી।।
ભૂપતિ ભવન કોલાહલુ હોઈ। જાઇ ન બરનિ સમઉ સુખુ સોઈ।।
કૌસલ્યાદિ રામ મહતારીં। પ્રેમ બિબસ તન દસા બિસારીં।।

2.1.345

चौपाई
ভূপ ভবন তেহি অবসর সোহা৷ রচনা দেখি মদন মনু মোহা৷৷
মংগল সগুন মনোহরতাঈ৷ রিধি সিধি সুখ সংপদা সুহাঈ৷৷
জনু উছাহ সব সহজ সুহাএ৷ তনু ধরি ধরি দসরথ দসরথ গৃহছাএ৷৷
দেখন হেতু রাম বৈদেহী৷ কহহু লালসা হোহি ন কেহী৷৷
জুথ জূথ মিলি চলীং সুআসিনি৷ নিজ ছবি নিদরহিং মদন বিলাসনি৷৷
সকল সুমংগল সজেং আরতী৷ গাবহিং জনু বহু বেষ ভারতী৷৷
ভূপতি ভবন কোলাহলু হোঈ৷ জাই ন বরনি সমউ সুখু সোঈ৷৷
কৌসল্যাদি রাম মহতারীং৷ প্রেম বিবস তন দসা বিসারীং৷৷

1.1.345

चौपाई
भूप भवन तेहि अवसर सोहा। रचना देखि मदन मनु मोहा।।
मंगल सगुन मनोहरताई। रिधि सिधि सुख संपदा सुहाई।।
जनु उछाह सब सहज सुहाए। तनु धरि धरि दसरथ दसरथ गृहँ छाए।।
देखन हेतु राम बैदेही। कहहु लालसा होहि न केही।।
जुथ जूथ मिलि चलीं सुआसिनि। निज छबि निदरहिं मदन बिलासनि।।
सकल सुमंगल सजें आरती। गावहिं जनु बहु बेष भारती।।
भूपति भवन कोलाहलु होई। जाइ न बरनि समउ सुखु सोई।।
कौसल्यादि राम महतारीं। प्रेम बिबस तन दसा बिसारीं।।

दोहा/सोरठा

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