88

3.2.88

चौपाई
યહ સુધિ ગુહનિષાદ જબ પાઈ। મુદિત લિએ પ્રિય બંધુ બોલાઈ।।
લિએ ફલ મૂલ ભેંટ ભરિ ભારા। મિલન ચલેઉ હિંયહરષુ અપારા।।
કરિ દંડવત ભેંટ ધરિ આગેં। પ્રભુહિ બિલોકત અતિ અનુરાગેં।।
સહજ સનેહ બિબસ રઘુરાઈ। પૂી કુસલ નિકટ બૈઠાઈ।।
નાથ કુસલ પદ પંકજ દેખેં। ભયઉભાગભાજન જન લેખેં।।
દેવ ધરનિ ધનુ ધામુ તુમ્હારા। મૈં જનુ નીચુ સહિત પરિવારા।।
કૃપા કરિઅ પુર ધારિઅ પાઊ। થાપિય જનુ સબુ લોગુ સિહાઊ।।
કહેહુ સત્ય સબુ સખા સુજાના। મોહિ દીન્હ પિતુ આયસુ આના।।

3.1.88

चौपाई
જબ જદુબંસ કૃષ્ન અવતારા। હોઇહિ હરન મહા મહિભારા।।
કૃષ્ન તનય હોઇહિ પતિ તોરા। બચનુ અન્યથા હોઇ ન મોરા।।
રતિ ગવની સુનિ સંકર બાની। કથા અપર અબ કહઉબખાની।।
દેવન્હ સમાચાર સબ પાએ। બ્રહ્માદિક બૈકુંઠ સિધાએ।।
સબ સુર બિષ્નુ બિરંચિ સમેતા। ગએ જહાસિવ કૃપાનિકેતા।।
પૃથક પૃથક તિન્હ કીન્હિ પ્રસંસા। ભએ પ્રસન્ન ચંદ્ર અવતંસા।।
બોલે કૃપાસિંધુ બૃષકેતૂ। કહહુ અમર આએ કેહિ હેતૂ।।
કહ બિધિ તુમ્હ પ્રભુ અંતરજામી। તદપિ ભગતિ બસ બિનવઉસ્વામી।।

2.7.88

चौपाई
কবহূকাল ন ব্যাপিহি তোহী৷ সুমিরেসু ভজেসু নিরংতর মোহী৷৷
প্রভু বচনামৃত সুনি ন অঘাঊ তনু পুলকিত মন অতি হরষাঊ৷
সো সুখ জানই মন অরু কানা৷ নহিং রসনা পহিং জাই বখানা৷৷
প্রভু সোভা সুখ জানহিং নযনা৷ কহি কিমি সকহিং তিন্হহি নহিং বযনা৷৷
বহু বিধি মোহি প্রবোধি সুখ দেঈ৷ লগে করন সিসু কৌতুক তেঈ৷৷
সজল নযন কছু মুখ করি রূখা৷ চিতই মাতু লাগী অতি ভূখা৷৷
দেখি মাতু আতুর উঠি ধাঈ৷ কহি মৃদু বচন লিএ উর লাঈ৷৷
গোদ রাখি করাব পয পানা৷ রঘুপতি চরিত ললিত কর গানা৷৷

2.6.88

चौपाई
মজ্জহি ভূত পিসাচ বেতালা৷ প্রমথ মহা ঝোটিংগ করালা৷৷
কাক কংক লৈ ভুজা উড়াহীং৷ এক তে ছীনি এক লৈ খাহীং৷৷
এক কহহিং ঐসিউ সৌংঘাঈ৷ সঠহু তুম্হার দরিদ্র ন জাঈ৷৷
কহত ভট ঘাযল তট গিরে৷ জহতহমনহুঅর্ধজল পরে৷৷
খৈংচহিং গীধ আ তট ভএ৷ জনু বংসী খেলত চিত দএ৷৷
বহু ভট বহহিং চঢ়ে খগ জাহীং৷ জনু নাবরি খেলহিং সরি মাহীং৷৷
জোগিনি ভরি ভরি খপ্পর সংচহিং৷ ভূত পিসাচ বধূ নভ নংচহিং৷৷
ভট কপাল করতাল বজাবহিং৷ চামুংডা নানা বিধি গাবহিং৷৷
জংবুক নিকর কটক্কট কট্টহিং৷ খাহিং হুআহিং অঘাহিং দপট্টহিং৷৷

2.2.88

चौपाई
যহ সুধি গুহনিষাদ জব পাঈ৷ মুদিত লিএ প্রিয বংধু বোলাঈ৷৷
লিএ ফল মূল ভেংট ভরি ভারা৷ মিলন চলেউ হিংযহরষু অপারা৷৷
করি দংডবত ভেংট ধরি আগেং৷ প্রভুহি বিলোকত অতি অনুরাগেং৷৷
সহজ সনেহ বিবস রঘুরাঈ৷ পূী কুসল নিকট বৈঠাঈ৷৷
নাথ কুসল পদ পংকজ দেখেং৷ ভযউভাগভাজন জন লেখেং৷৷
দেব ধরনি ধনু ধামু তুম্হারা৷ মৈং জনু নীচু সহিত পরিবারা৷৷
কৃপা করিঅ পুর ধারিঅ পাঊ৷ থাপিয জনু সবু লোগু সিহাঊ৷৷
কহেহু সত্য সবু সখা সুজানা৷ মোহি দীন্হ পিতু আযসু আনা৷৷

2.1.88

चौपाई
জব জদুবংস কৃষ্ন অবতারা৷ হোইহি হরন মহা মহিভারা৷৷
কৃষ্ন তনয হোইহি পতি তোরা৷ বচনু অন্যথা হোই ন মোরা৷৷
রতি গবনী সুনি সংকর বানী৷ কথা অপর অব কহউবখানী৷৷
দেবন্হ সমাচার সব পাএ৷ ব্রহ্মাদিক বৈকুংঠ সিধাএ৷৷
সব সুর বিষ্নু বিরংচি সমেতা৷ গএ জহাসিব কৃপানিকেতা৷৷
পৃথক পৃথক তিন্হ কীন্হি প্রসংসা৷ ভএ প্রসন্ন চংদ্র অবতংসা৷৷
বোলে কৃপাসিংধু বৃষকেতূ৷ কহহু অমর আএ কেহি হেতূ৷৷
কহ বিধি তুম্হ প্রভু অংতরজামী৷ তদপি ভগতি বস বিনবউস্বামী৷৷

1.7.88

चौपाई
कबहूँ काल न ब्यापिहि तोही। सुमिरेसु भजेसु निरंतर मोही।।
प्रभु बचनामृत सुनि न अघाऊँ। तनु पुलकित मन अति हरषाऊँ।।
सो सुख जानइ मन अरु काना। नहिं रसना पहिं जाइ बखाना।।
प्रभु सोभा सुख जानहिं नयना। कहि किमि सकहिं तिन्हहि नहिं बयना।।
बहु बिधि मोहि प्रबोधि सुख देई। लगे करन सिसु कौतुक तेई।।
सजल नयन कछु मुख करि रूखा। चितइ मातु लागी अति भूखा।।
देखि मातु आतुर उठि धाई। कहि मृदु बचन लिए उर लाई।।
गोद राखि कराव पय पाना। रघुपति चरित ललित कर गाना।।

1.6.88

चौपाई
मज्जहि भूत पिसाच बेताला। प्रमथ महा झोटिंग कराला।।
काक कंक लै भुजा उड़ाहीं। एक ते छीनि एक लै खाहीं।।
एक कहहिं ऐसिउ सौंघाई। सठहु तुम्हार दरिद्र न जाई।।
कहँरत भट घायल तट गिरे। जहँ तहँ मनहुँ अर्धजल परे।।
खैंचहिं गीध आँत तट भए। जनु बंसी खेलत चित दए।।
बहु भट बहहिं चढ़े खग जाहीं। जनु नावरि खेलहिं सरि माहीं।।
जोगिनि भरि भरि खप्पर संचहिं। भूत पिसाच बधू नभ नंचहिं।।
भट कपाल करताल बजावहिं। चामुंडा नाना बिधि गावहिं।।
जंबुक निकर कटक्कट कट्टहिं। खाहिं हुआहिं अघाहिं दपट्टहिं।।

1.2.88

चौपाई
यह सुधि गुहँ निषाद जब पाई। मुदित लिए प्रिय बंधु बोलाई।।
लिए फल मूल भेंट भरि भारा। मिलन चलेउ हिंयँ हरषु अपारा।।
करि दंडवत भेंट धरि आगें। प्रभुहि बिलोकत अति अनुरागें।।
सहज सनेह बिबस रघुराई। पूँछी कुसल निकट बैठाई।।
नाथ कुसल पद पंकज देखें। भयउँ भागभाजन जन लेखें।।
देव धरनि धनु धामु तुम्हारा। मैं जनु नीचु सहित परिवारा।।
कृपा करिअ पुर धारिअ पाऊ। थापिय जनु सबु लोगु सिहाऊ।।
कहेहु सत्य सबु सखा सुजाना। मोहि दीन्ह पितु आयसु आना।।

दोहा/सोरठा

1.1.88

चौपाई
जब जदुबंस कृष्न अवतारा। होइहि हरन महा महिभारा।।
कृष्न तनय होइहि पति तोरा। बचनु अन्यथा होइ न मोरा।।
रति गवनी सुनि संकर बानी। कथा अपर अब कहउँ बखानी।।
देवन्ह समाचार सब पाए। ब्रह्मादिक बैकुंठ सिधाए।।
सब सुर बिष्नु बिरंचि समेता। गए जहाँ सिव कृपानिकेता।।
पृथक पृथक तिन्ह कीन्हि प्रसंसा। भए प्रसन्न चंद्र अवतंसा।।
बोले कृपासिंधु बृषकेतू। कहहु अमर आए केहि हेतू।।
कह बिधि तुम्ह प्रभु अंतरजामी। तदपि भगति बस बिनवउँ स्वामी।।

दोहा/सोरठा

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