92

3.2.92

चौपाई
ભઇ દિનકર કુલ બિટપ કુઠારી। કુમતિ કીન્હ સબ બિસ્વ દુખારી।।
ભયઉ બિષાદુ નિષાદહિ ભારી। રામ સીય મહિ સયન નિહારી।।
બોલે લખન મધુર મૃદુ બાની। ગ્યાન બિરાગ ભગતિ રસ સાની।।
કાહુ ન કોઉ સુખ દુખ કર દાતા। નિજ કૃત કરમ ભોગ સબુ ભ્રાતા।।
જોગ બિયોગ ભોગ ભલ મંદા। હિત અનહિત મધ્યમ ભ્રમ ફંદા।।
જનમુ મરનુ જહલગિ જગ જાલૂ। સંપતી બિપતિ કરમુ અરુ કાલૂ।।
ધરનિ ધામુ ધનુ પુર પરિવારૂ। સરગુ નરકુ જહલગિ બ્યવહારૂ।।
દેખિઅ સુનિઅ ગુનિઅ મન માહીં। મોહ મૂલ પરમારથુ નાહીં।।

3.1.92

चौपाई
સિવહિ સંભુ ગન કરહિં સિંગારા। જટા મુકુટ અહિ મૌરુ સારા।।
કુંડલ કંકન પહિરે બ્યાલા। તન બિભૂતિ પટ કેહરિ છાલા।।
સસિ લલાટ સુંદર સિર ગંગા। નયન તીનિ ઉપબીત ભુજંગા।।
ગરલ કંઠ ઉર નર સિર માલા। અસિવ બેષ સિવધામ કૃપાલા।।
કર ત્રિસૂલ અરુ ડમરુ બિરાજા। ચલે બસહચઢ઼િ બાજહિં બાજા।।
દેખિ સિવહિ સુરત્રિય મુસુકાહીં। બર લાયક દુલહિનિ જગ નાહીં।।
બિષ્નુ બિરંચિ આદિ સુરબ્રાતા। ચઢ઼િ ચઢ઼િ બાહન ચલે બરાતા।।
સુર સમાજ સબ ભાિ અનૂપા। નહિં બરાત દૂલહ અનુરૂપા।।

2.7.92

चौपाई
প্রভু অগাধ সত কোটি পতালা৷ সমন কোটি সত সরিস করালা৷৷
তীরথ অমিত কোটি সম পাবন৷ নাম অখিল অঘ পূগ নসাবন৷৷
হিমগিরি কোটি অচল রঘুবীরা৷ সিংধু কোটি সত সম গংভীরা৷৷
কামধেনু সত কোটি সমানা৷ সকল কাম দাযক ভগবানা৷৷
সারদ কোটি অমিত চতুরাঈ৷ বিধি সত কোটি সৃষ্টি নিপুনাঈ৷৷
বিষ্নু কোটি সম পালন কর্তা৷ রুদ্র কোটি সত সম সংহর্তা৷৷
ধনদ কোটি সত সম ধনবানা৷ মাযা কোটি প্রপংচ নিধানা৷৷
ভার ধরন সত কোটি অহীসা৷ নিরবধি নিরুপম প্রভু জগদীসা৷৷

2.6.92

चौपाई
চলে বান সপচ্ছ জনু উরগা৷ প্রথমহিং হতেউ সারথী তুরগা৷৷
রথ বিভংজি হতি কেতু পতাকা৷ গর্জা অতি অংতর বল থাকা৷৷
তুরত আন রথ চঢ়ি খিসিআনা৷ অস্ত্র সস্ত্র ছা়েসি বিধি নানা৷৷
বিফল হোহিং সব উদ্যম তাকে৷ জিমি পরদ্রোহ নিরত মনসা কে৷৷
তব রাবন দস সূল চলাবা৷ বাজি চারি মহি মারি গিরাবা৷৷
তুরগ উঠাই কোপি রঘুনাযক৷ খৈংচি সরাসন ছা়ে সাযক৷৷
রাবন সির সরোজ বনচারী৷ চলি রঘুবীর সিলীমুখ ধারী৷৷
দস দস বান ভাল দস মারে৷ নিসরি গএ চলে রুধির পনারে৷৷
স্ত্রবত রুধির ধাযউ বলবানা৷ প্রভু পুনি কৃত ধনু সর সংধানা৷৷

2.2.92

चौपाई
ভই দিনকর কুল বিটপ কুঠারী৷ কুমতি কীন্হ সব বিস্ব দুখারী৷৷
ভযউ বিষাদু নিষাদহি ভারী৷ রাম সীয মহি সযন নিহারী৷৷
বোলে লখন মধুর মৃদু বানী৷ গ্যান বিরাগ ভগতি রস সানী৷৷
কাহু ন কোউ সুখ দুখ কর দাতা৷ নিজ কৃত করম ভোগ সবু ভ্রাতা৷৷
জোগ বিযোগ ভোগ ভল মংদা৷ হিত অনহিত মধ্যম ভ্রম ফংদা৷৷
জনমু মরনু জহলগি জগ জালূ৷ সংপতী বিপতি করমু অরু কালূ৷৷
ধরনি ধামু ধনু পুর পরিবারূ৷ সরগু নরকু জহলগি ব্যবহারূ৷৷
দেখিঅ সুনিঅ গুনিঅ মন মাহীং৷ মোহ মূল পরমারথু নাহীং৷৷

2.1.92

चौपाई
সিবহি সংভু গন করহিং সিংগারা৷ জটা মুকুট অহি মৌরু সারা৷৷
কুংডল কংকন পহিরে ব্যালা৷ তন বিভূতি পট কেহরি ছালা৷৷
সসি ললাট সুংদর সির গংগা৷ নযন তীনি উপবীত ভুজংগা৷৷
গরল কংঠ উর নর সির মালা৷ অসিব বেষ সিবধাম কৃপালা৷৷
কর ত্রিসূল অরু ডমরু বিরাজা৷ চলে বসহচঢ়ি বাজহিং বাজা৷৷
দেখি সিবহি সুরত্রিয মুসুকাহীং৷ বর লাযক দুলহিনি জগ নাহীং৷৷
বিষ্নু বিরংচি আদি সুরব্রাতা৷ চঢ়ি চঢ়ি বাহন চলে বরাতা৷৷
সুর সমাজ সব ভাি অনূপা৷ নহিং বরাত দূলহ অনুরূপা৷৷

1.7.92

चौपाई
प्रभु अगाध सत कोटि पताला। समन कोटि सत सरिस कराला।।
तीरथ अमित कोटि सम पावन। नाम अखिल अघ पूग नसावन।।
हिमगिरि कोटि अचल रघुबीरा। सिंधु कोटि सत सम गंभीरा।।
कामधेनु सत कोटि समाना। सकल काम दायक भगवाना।।
सारद कोटि अमित चतुराई। बिधि सत कोटि सृष्टि निपुनाई।।
बिष्नु कोटि सम पालन कर्ता। रुद्र कोटि सत सम संहर्ता।।
धनद कोटि सत सम धनवाना। माया कोटि प्रपंच निधाना।।
भार धरन सत कोटि अहीसा। निरवधि निरुपम प्रभु जगदीसा।।

1.6.92

चौपाई
चले बान सपच्छ जनु उरगा। प्रथमहिं हतेउ सारथी तुरगा।।
रथ बिभंजि हति केतु पताका। गर्जा अति अंतर बल थाका।।
तुरत आन रथ चढ़ि खिसिआना। अस्त्र सस्त्र छाँड़ेसि बिधि नाना।।
बिफल होहिं सब उद्यम ताके। जिमि परद्रोह निरत मनसा के।।
तब रावन दस सूल चलावा। बाजि चारि महि मारि गिरावा।।
तुरग उठाइ कोपि रघुनायक। खैंचि सरासन छाँड़े सायक।।
रावन सिर सरोज बनचारी। चलि रघुबीर सिलीमुख धारी।।
दस दस बान भाल दस मारे। निसरि गए चले रुधिर पनारे।।
स्त्रवत रुधिर धायउ बलवाना। प्रभु पुनि कृत धनु सर संधाना।।

1.2.92

चौपाई
भइ दिनकर कुल बिटप कुठारी। कुमति कीन्ह सब बिस्व दुखारी।।
भयउ बिषादु निषादहि भारी। राम सीय महि सयन निहारी।।
बोले लखन मधुर मृदु बानी। ग्यान बिराग भगति रस सानी।।
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता।।
जोग बियोग भोग भल मंदा। हित अनहित मध्यम भ्रम फंदा।।
जनमु मरनु जहँ लगि जग जालू। संपती बिपति करमु अरु कालू।।
धरनि धामु धनु पुर परिवारू। सरगु नरकु जहँ लगि ब्यवहारू।।
देखिअ सुनिअ गुनिअ मन माहीं। मोह मूल परमारथु नाहीं।।

दोहा/सोरठा

1.1.92

चौपाई
सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा।।
कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला।।
ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा।।
गरल कंठ उर नर सिर माला। असिव बेष सिवधाम कृपाला।।
कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा। चले बसहँ चढ़ि बाजहिं बाजा।।
देखि सिवहि सुरत्रिय मुसुकाहीं। बर लायक दुलहिनि जग नाहीं।।
बिष्नु बिरंचि आदि सुरब्राता। चढ़ि चढ़ि बाहन चले बराता।।
सुर समाज सब भाँति अनूपा। नहिं बरात दूलह अनुरूपा।।

दोहा/सोरठा

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