95

3.2.95

चौपाई
તાત કૃપા કરિ કીજિઅ સોઈ। જાતેં અવધ અનાથ ન હોઈ।।
મંત્રહિ રામ ઉઠાઇ પ્રબોધા। તાત ધરમ મતુ તુમ્હ સબુ સોધા।।
સિબિ દધીચિ હરિચંદ નરેસા। સહે ધરમ હિત કોટિ કલેસા।।
રંતિદેવ બલિ ભૂપ સુજાના। ધરમુ ધરેઉ સહિ સંકટ નાના।।
ધરમુ ન દૂસર સત્ય સમાના। આગમ નિગમ પુરાન બખાના।।
મૈં સોઇ ધરમુ સુલભ કરિ પાવા। તજેં તિહૂપુર અપજસુ છાવા।।
સંભાવિત કહુઅપજસ લાહૂ। મરન કોટિ સમ દારુન દાહૂ।।
તુમ્હ સન તાત બહુત કા કહઊ દિએઉતરુ ફિરિ પાતકુ લહઊ।

3.1.95

चौपाई
નગર નિકટ બરાત સુનિ આઈ। પુર ખરભરુ સોભા અધિકાઈ।।
કરિ બનાવ સજિ બાહન નાના। ચલે લેન સાદર અગવાના।।
હિયહરષે સુર સેન નિહારી। હરિહિ દેખિ અતિ ભએ સુખારી।।
સિવ સમાજ જબ દેખન લાગે। બિડરિ ચલે બાહન સબ ભાગે।।
ધરિ ધીરજુ તહરહે સયાને। બાલક સબ લૈ જીવ પરાને।।
ગએભવન પૂછહિં પિતુ માતા। કહહિં બચન ભય કંપિત ગાતા।।
કહિઅ કાહ કહિ જાઇ ન બાતા। જમ કર ધાર કિધૌં બરિઆતા।।
બરુ બૌરાહ બસહઅસવારા। બ્યાલ કપાલ બિભૂષન છારા।।

2.7.95

चौपाई
গরুড় গিরা সুনি হরষেউ কাগা৷ বোলেউ উমা পরম অনুরাগা৷৷
ধন্য ধন্য তব মতি উরগারী৷ প্রস্ন তুম্হারি মোহি অতি প্যারী৷৷
সুনি তব প্রস্ন সপ্রেম সুহাঈ৷ বহুত জনম কৈ সুধি মোহি আঈ৷৷
সব নিজ কথা কহউমৈং গাঈ৷ তাত সুনহু সাদর মন লাঈ৷৷
জপ তপ মখ সম দম ব্রত দানা৷ বিরতি বিবেক জোগ বিগ্যানা৷৷
সব কর ফল রঘুপতি পদ প্রেমা৷ তেহি বিনু কোউ ন পাবই ছেমা৷৷
এহি তন রাম ভগতি মৈং পাঈ৷ তাতে মোহি মমতা অধিকাঈ৷৷
জেহি তেং কছু নিজ স্বারথ হোঈ৷ তেহি পর মমতা কর সব কোঈ৷৷

2.6.95

चौपाई
দেখা শ্রমিত বিভীষনু ভারী৷ ধাযউ হনূমান গিরি ধারী৷৷
রথ তুরংগ সারথী নিপাতা৷ হৃদয মাঝ তেহি মারেসি লাতা৷৷
ঠাঢ় রহা অতি কংপিত গাতা৷ গযউ বিভীষনু জহজনত্রাতা৷৷
পুনি রাবন কপি হতেউ পচারী৷ চলেউ গগন কপি পূ পসারী৷৷
গহিসি পূ কপি সহিত উড়ানা৷ পুনি ফিরি ভিরেউ প্রবল হনুমানা৷৷
লরত অকাস জুগল সম জোধা৷ একহি একু হনত করি ক্রোধা৷৷
সোহহিং নভ ছল বল বহু করহীং৷ কজ্জল গিরি সুমেরু জনু লরহীং৷৷
বুধি বল নিসিচর পরই ন পার্ যো৷ তব মারুত সুত প্রভু সংভার্ যো৷৷

2.2.95

चौपाई
তাত কৃপা করি কীজিঅ সোঈ৷ জাতেং অবধ অনাথ ন হোঈ৷৷
মংত্রহি রাম উঠাই প্রবোধা৷ তাত ধরম মতু তুম্হ সবু সোধা৷৷
সিবি দধীচি হরিচংদ নরেসা৷ সহে ধরম হিত কোটি কলেসা৷৷
রংতিদেব বলি ভূপ সুজানা৷ ধরমু ধরেউ সহি সংকট নানা৷৷
ধরমু ন দূসর সত্য সমানা৷ আগম নিগম পুরান বখানা৷৷
মৈং সোই ধরমু সুলভ করি পাবা৷ তজেং তিহূপুর অপজসু ছাবা৷৷
সংভাবিত কহুঅপজস লাহূ৷ মরন কোটি সম দারুন দাহূ৷৷
তুম্হ সন তাত বহুত কা কহঊ দিএউতরু ফিরি পাতকু লহঊ৷

2.1.95

चौपाई
নগর নিকট বরাত সুনি আঈ৷ পুর খরভরু সোভা অধিকাঈ৷৷
করি বনাব সজি বাহন নানা৷ চলে লেন সাদর অগবানা৷৷
হিযহরষে সুর সেন নিহারী৷ হরিহি দেখি অতি ভএ সুখারী৷৷
সিব সমাজ জব দেখন লাগে৷ বিডরি চলে বাহন সব ভাগে৷৷
ধরি ধীরজু তহরহে সযানে৷ বালক সব লৈ জীব পরানে৷৷
গএভবন পূছহিং পিতু মাতা৷ কহহিং বচন ভয কংপিত গাতা৷৷
কহিঅ কাহ কহি জাই ন বাতা৷ জম কর ধার কিধৌং বরিআতা৷৷
বরু বৌরাহ বসহঅসবারা৷ ব্যাল কপাল বিভূষন ছারা৷৷

1.7.95

चौपाई
गरुड़ गिरा सुनि हरषेउ कागा। बोलेउ उमा परम अनुरागा।।
धन्य धन्य तव मति उरगारी। प्रस्न तुम्हारि मोहि अति प्यारी।।
सुनि तव प्रस्न सप्रेम सुहाई। बहुत जनम कै सुधि मोहि आई।।
सब निज कथा कहउँ मैं गाई। तात सुनहु सादर मन लाई।।
जप तप मख सम दम ब्रत दाना। बिरति बिबेक जोग बिग्याना।।
सब कर फल रघुपति पद प्रेमा। तेहि बिनु कोउ न पावइ छेमा।।
एहि तन राम भगति मैं पाई। ताते मोहि ममता अधिकाई।।
जेहि तें कछु निज स्वारथ होई। तेहि पर ममता कर सब कोई।।

1.6.95

चौपाई
देखा श्रमित बिभीषनु भारी। धायउ हनूमान गिरि धारी।।
रथ तुरंग सारथी निपाता। हृदय माझ तेहि मारेसि लाता।।
ठाढ़ रहा अति कंपित गाता। गयउ बिभीषनु जहँ जनत्राता।।
पुनि रावन कपि हतेउ पचारी। चलेउ गगन कपि पूँछ पसारी।।
गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना। पुनि फिरि भिरेउ प्रबल हनुमाना।।
लरत अकास जुगल सम जोधा। एकहि एकु हनत करि क्रोधा।।
सोहहिं नभ छल बल बहु करहीं। कज्जल गिरि सुमेरु जनु लरहीं।।
बुधि बल निसिचर परइ न पार् यो। तब मारुत सुत प्रभु संभार् यो।।

1.2.95

चौपाई
तात कृपा करि कीजिअ सोई। जातें अवध अनाथ न होई।।
मंत्रहि राम उठाइ प्रबोधा। तात धरम मतु तुम्ह सबु सोधा।।
सिबि दधीचि हरिचंद नरेसा। सहे धरम हित कोटि कलेसा।।
रंतिदेव बलि भूप सुजाना। धरमु धरेउ सहि संकट नाना।।
धरमु न दूसर सत्य समाना। आगम निगम पुरान बखाना।।
मैं सोइ धरमु सुलभ करि पावा। तजें तिहूँ पुर अपजसु छावा।।
संभावित कहुँ अपजस लाहू। मरन कोटि सम दारुन दाहू।।
तुम्ह सन तात बहुत का कहऊँ। दिएँ उतरु फिरि पातकु लहऊँ।।

दोहा/सोरठा

1.1.95

चौपाई
नगर निकट बरात सुनि आई। पुर खरभरु सोभा अधिकाई।।
करि बनाव सजि बाहन नाना। चले लेन सादर अगवाना।।
हियँ हरषे सुर सेन निहारी। हरिहि देखि अति भए सुखारी।।
सिव समाज जब देखन लागे। बिडरि चले बाहन सब भागे।।
धरि धीरजु तहँ रहे सयाने। बालक सब लै जीव पराने।।
गएँ भवन पूछहिं पितु माता। कहहिं बचन भय कंपित गाता।।
कहिअ काह कहि जाइ न बाता। जम कर धार किधौं बरिआता।।
बरु बौराह बसहँ असवारा। ब्याल कपाल बिभूषन छारा।।

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