चौपाई
सुनि सिसु रुदन परम प्रिय बानी। संभ्रम चलि आई सब रानी।।
हरषित जहँ तहँ धाईं दासी। आनँद मगन सकल पुरबासी।।
दसरथ पुत्रजन्म सुनि काना। मानहुँ ब्रह्मानंद समाना।।
परम प्रेम मन पुलक सरीरा। चाहत उठत करत मति धीरा।।
जाकर नाम सुनत सुभ होई। मोरें गृह आवा प्रभु सोई।।
परमानंद पूरि मन राजा। कहा बोलाइ बजावहु बाजा।।
गुर बसिष्ठ कहँ गयउ हँकारा। आए द्विजन सहित नृपद्वारा।।
अनुपम बालक देखेन्हि जाई। रूप रासि गुन कहि न सिराई।।
दोहा/सोरठा