133

5.2.133

चौपाई
രഘുബര കഹേഉ ലഖന ഭല ഘാടൂ. കരഹു കതഹുഅബ ഠാഹര ഠാടൂ..
ലഖന ദീഖ പയ ഉതര കരാരാ. ചഹുദിസി ഫിരേഉ ധനുഷ ജിമി നാരാ..
നദീ പനച സര സമ ദമ ദാനാ. സകല കലുഷ കലി സാഉജ നാനാ..
ചിത്രകൂട ജനു അചല അഹേരീ. ചുകഇ ന ഘാത മാര മുഠഭേരീ..
അസ കഹി ലഖന ഠാഉദേഖരാവാ. ഥലു ബിലോകി രഘുബര സുഖു പാവാ..
രമേഉ രാമ മനു ദേവന്ഹ ജാനാ. ചലേ സഹിത സുര ഥപതി പ്രധാനാ..
കോല കിരാത ബേഷ സബ ആഏ. രചേ പരന തൃന സദന സുഹാഏ..
ബരനി ന ജാഹി മംജു ദുഇ സാലാ. ഏക ലലിത ലഘു ഏക ബിസാലാ..

5.1.133

चौपाई
കുപഥ മാഗ രുജ ബ്യാകുല രോഗീ. ബൈദ ന ദേഇ സുനഹു മുനി ജോഗീ..
ഏഹി ബിധി ഹിത തുമ്ഹാര മൈം ഠയഊ. കഹി അസ അംതരഹിത പ്രഭു ഭയഊ..
മായാ ബിബസ ഭഏ മുനി മൂഢ. സമുഝീ നഹിം ഹരി ഗിരാ നിഗൂഢ..
ഗവനേ തുരത തഹാരിഷിരാഈ. ജഹാസ്വയംബര ഭൂമി ബനാഈ..
നിജ നിജ ആസന ബൈഠേ രാജാ. ബഹു ബനാവ കരി സഹിത സമാജാ..
മുനി മന ഹരഷ രൂപ അതി മോരേം. മോഹി തജി ആനഹി ബാരിഹി ന ഭോരേം..
മുനി ഹിത കാരന കൃപാനിധാനാ. ദീന്ഹ കുരൂപ ന ജാഇ ബഖാനാ..
സോ ചരിത്ര ലഖി കാഹുന പാവാ. നാരദ ജാനി സബഹിം സിര നാവാ..

4.2.133

चौपाई
ರಘುಬರ ಕಹೇಉ ಲಖನ ಭಲ ಘಾಟೂ. ಕರಹು ಕತಹುಅಬ ಠಾಹರ ಠಾಟೂ..
ಲಖನ ದೀಖ ಪಯ ಉತರ ಕರಾರಾ. ಚಹುದಿಸಿ ಫಿರೇಉ ಧನುಷ ಜಿಮಿ ನಾರಾ..
ನದೀ ಪನಚ ಸರ ಸಮ ದಮ ದಾನಾ. ಸಕಲ ಕಲುಷ ಕಲಿ ಸಾಉಜ ನಾನಾ..
ಚಿತ್ರಕೂಟ ಜನು ಅಚಲ ಅಹೇರೀ. ಚುಕಇ ನ ಘಾತ ಮಾರ ಮುಠಭೇರೀ..
ಅಸ ಕಹಿ ಲಖನ ಠಾಉದೇಖರಾವಾ. ಥಲು ಬಿಲೋಕಿ ರಘುಬರ ಸುಖು ಪಾವಾ..
ರಮೇಉ ರಾಮ ಮನು ದೇವನ್ಹ ಜಾನಾ. ಚಲೇ ಸಹಿತ ಸುರ ಥಪತಿ ಪ್ರಧಾನಾ..
ಕೋಲ ಕಿರಾತ ಬೇಷ ಸಬ ಆಏ. ರಚೇ ಪರನ ತೃನ ಸದನ ಸುಹಾಏ..
ಬರನಿ ನ ಜಾಹಿ ಮಂಜು ದುಇ ಸಾಲಾ. ಏಕ ಲಲಿತ ಲಘು ಏಕ ಬಿಸಾಲಾ..

4.1.133

चौपाई
ಕುಪಥ ಮಾಗ ರುಜ ಬ್ಯಾಕುಲ ರೋಗೀ. ಬೈದ ನ ದೇಇ ಸುನಹು ಮುನಿ ಜೋಗೀ..
ಏಹಿ ಬಿಧಿ ಹಿತ ತುಮ್ಹಾರ ಮೈಂ ಠಯಊ. ಕಹಿ ಅಸ ಅಂತರಹಿತ ಪ್ರಭು ಭಯಊ..
ಮಾಯಾ ಬಿಬಸ ಭಏ ಮುನಿ ಮೂಢ. ಸಮುಝೀ ನಹಿಂ ಹರಿ ಗಿರಾ ನಿಗೂಢ..
ಗವನೇ ತುರತ ತಹಾರಿಷಿರಾಈ. ಜಹಾಸ್ವಯಂಬರ ಭೂಮಿ ಬನಾಈ..
ನಿಜ ನಿಜ ಆಸನ ಬೈಠೇ ರಾಜಾ. ಬಹು ಬನಾವ ಕರಿ ಸಹಿತ ಸಮಾಜಾ..
ಮುನಿ ಮನ ಹರಷ ರೂಪ ಅತಿ ಮೋರೇಂ. ಮೋಹಿ ತಜಿ ಆನಹಿ ಬಾರಿಹಿ ನ ಭೋರೇಂ..
ಮುನಿ ಹಿತ ಕಾರನ ಕೃಪಾನಿಧಾನಾ. ದೀನ್ಹ ಕುರೂಪ ನ ಜಾಇ ಬಖಾನಾ..
ಸೋ ಚರಿತ್ರ ಲಖಿ ಕಾಹುನ ಪಾವಾ. ನಾರದ ಜಾನಿ ಸಬಹಿಂ ಸಿರ ನಾವಾ..

3.2.133

चौपाई
રઘુબર કહેઉ લખન ભલ ઘાટૂ। કરહુ કતહુઅબ ઠાહર ઠાટૂ।।
લખન દીખ પય ઉતર કરારા। ચહુદિસિ ફિરેઉ ધનુષ જિમિ નારા।।
નદી પનચ સર સમ દમ દાના। સકલ કલુષ કલિ સાઉજ નાના।।
ચિત્રકૂટ જનુ અચલ અહેરી। ચુકઇ ન ઘાત માર મુઠભેરી।।
અસ કહિ લખન ઠાઉદેખરાવા। થલુ બિલોકિ રઘુબર સુખુ પાવા।।
રમેઉ રામ મનુ દેવન્હ જાના। ચલે સહિત સુર થપતિ પ્રધાના।।
કોલ કિરાત બેષ સબ આએ। રચે પરન તૃન સદન સુહાએ।।
બરનિ ન જાહિ મંજુ દુઇ સાલા। એક લલિત લઘુ એક બિસાલા।।

3.1.133

चौपाई
કુપથ માગ રુજ બ્યાકુલ રોગી। બૈદ ન દેઇ સુનહુ મુનિ જોગી।।
એહિ બિધિ હિત તુમ્હાર મૈં ઠયઊ। કહિ અસ અંતરહિત પ્રભુ ભયઊ।।
માયા બિબસ ભએ મુનિ મૂઢ઼ા। સમુઝી નહિં હરિ ગિરા નિગૂઢ઼ા।।
ગવને તુરત તહારિષિરાઈ। જહાસ્વયંબર ભૂમિ બનાઈ।।
નિજ નિજ આસન બૈઠે રાજા। બહુ બનાવ કરિ સહિત સમાજા।।
મુનિ મન હરષ રૂપ અતિ મોરેં। મોહિ તજિ આનહિ બારિહિ ન ભોરેં।।
મુનિ હિત કારન કૃપાનિધાના। દીન્હ કુરૂપ ન જાઇ બખાના।।
સો ચરિત્ર લખિ કાહુન પાવા। નારદ જાનિ સબહિં સિર નાવા।।

2.2.133

चौपाई
রঘুবর কহেউ লখন ভল ঘাটূ৷ করহু কতহুঅব ঠাহর ঠাটূ৷৷
লখন দীখ পয উতর করারা৷ চহুদিসি ফিরেউ ধনুষ জিমি নারা৷৷
নদী পনচ সর সম দম দানা৷ সকল কলুষ কলি সাউজ নানা৷৷
চিত্রকূট জনু অচল অহেরী৷ চুকই ন ঘাত মার মুঠভেরী৷৷
অস কহি লখন ঠাউদেখরাবা৷ থলু বিলোকি রঘুবর সুখু পাবা৷৷
রমেউ রাম মনু দেবন্হ জানা৷ চলে সহিত সুর থপতি প্রধানা৷৷
কোল কিরাত বেষ সব আএ৷ রচে পরন তৃন সদন সুহাএ৷৷
বরনি ন জাহি মংজু দুই সালা৷ এক ললিত লঘু এক বিসালা৷৷

2.1.133

चौपाई
কুপথ মাগ রুজ ব্যাকুল রোগী৷ বৈদ ন দেই সুনহু মুনি জোগী৷৷
এহি বিধি হিত তুম্হার মৈং ঠযঊ৷ কহি অস অংতরহিত প্রভু ভযঊ৷৷
মাযা বিবস ভএ মুনি মূঢ়া৷ সমুঝী নহিং হরি গিরা নিগূঢ়া৷৷
গবনে তুরত তহারিষিরাঈ৷ জহাস্বযংবর ভূমি বনাঈ৷৷
নিজ নিজ আসন বৈঠে রাজা৷ বহু বনাব করি সহিত সমাজা৷৷
মুনি মন হরষ রূপ অতি মোরেং৷ মোহি তজি আনহি বারিহি ন ভোরেং৷৷
মুনি হিত কারন কৃপানিধানা৷ দীন্হ কুরূপ ন জাই বখানা৷৷
সো চরিত্র লখি কাহুন পাবা৷ নারদ জানি সবহিং সির নাবা৷৷

1.2.133

चौपाई
रघुबर कहेउ लखन भल घाटू। करहु कतहुँ अब ठाहर ठाटू।।
लखन दीख पय उतर करारा। चहुँ दिसि फिरेउ धनुष जिमि नारा।।
नदी पनच सर सम दम दाना। सकल कलुष कलि साउज नाना।।
चित्रकूट जनु अचल अहेरी। चुकइ न घात मार मुठभेरी।।
अस कहि लखन ठाउँ देखरावा। थलु बिलोकि रघुबर सुखु पावा।।
रमेउ राम मनु देवन्ह जाना। चले सहित सुर थपति प्रधाना।।
कोल किरात बेष सब आए। रचे परन तृन सदन सुहाए।।
बरनि न जाहि मंजु दुइ साला। एक ललित लघु एक बिसाला।।

दोहा/सोरठा

1.1.133

चौपाई
कुपथ माग रुज ब्याकुल रोगी। बैद न देइ सुनहु मुनि जोगी।।
एहि बिधि हित तुम्हार मैं ठयऊ। कहि अस अंतरहित प्रभु भयऊ।।
माया बिबस भए मुनि मूढ़ा। समुझी नहिं हरि गिरा निगूढ़ा।।
गवने तुरत तहाँ रिषिराई। जहाँ स्वयंबर भूमि बनाई।।
निज निज आसन बैठे राजा। बहु बनाव करि सहित समाजा।।
मुनि मन हरष रूप अति मोरें। मोहि तजि आनहि बारिहि न भोरें।।
मुनि हित कारन कृपानिधाना। दीन्ह कुरूप न जाइ बखाना।।
सो चरित्र लखि काहुँ न पावा। नारद जानि सबहिं सिर नावा।।

दोहा/सोरठा

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