348

10.1.348

चौपाई
మాగధ సూత బంది నట నాగర. గావహిం జసు తిహు లోక ఉజాగర..
జయ ధుని బిమల బేద బర బానీ. దస దిసి సునిఅ సుమంగల సానీ..
బిపుల బాజనే బాజన లాగే. నభ సుర నగర లోగ అనురాగే..
బనే బరాతీ బరని న జాహీం. మహా ముదిత మన సుఖ న సమాహీం..
పురబాసిన్హ తబ రాయ జోహారే. దేఖత రామహి భఏ సుఖారే..
కరహిం నిఛావరి మనిగన చీరా. బారి బిలోచన పులక సరీరా..
ఆరతి కరహిం ముదిత పుర నారీ. హరషహిం నిరఖి కుర బర చారీ..
సిబికా సుభగ ఓహార ఉఘారీ. దేఖి దులహినిన్హ హోహిం సుఖారీ..

9.1.348

चौपाई
மாகத ஸூத பஂதி நட நாகர. காவஹிஂ ஜஸு திஹு லோக உஜாகர..
ஜய துநி பிமல பேத பர பாநீ. தஸ திஸி ஸுநிஅ ஸுமஂகல ஸாநீ..
பிபுல பாஜநே பாஜந லாகே. நப ஸுர நகர லோக அநுராகே..
பநே பராதீ பரநி ந ஜாஹீஂ. மஹா முதித மந ஸுக ந ஸமாஹீஂ..
புரபாஸிந்ஹ தப ராய ஜோஹாரே. தேகத ராமஹி பஏ ஸுகாரே..
கரஹிஂ நிசாவரி மநிகந சீரா. பாரி பிலோசந புலக ஸரீரா..
ஆரதி கரஹிஂ முதித புர நாரீ. ஹரஷஹிஂ நிரகி குர பர சாரீ..
ஸிபிகா ஸுபக ஓஹார உகாரீ. தேகி துலஹிநிந்ஹ ஹோஹிஂ ஸுகாரீ..

8.1.348

चौपाई
māgadha sūta baṃdi naṭa nāgara. gāvahiṃ jasu tihu lōka ujāgara..
jaya dhuni bimala bēda bara bānī. dasa disi sunia sumaṃgala sānī..
bipula bājanē bājana lāgē. nabha sura nagara lōga anurāgē..
banē barātī barani na jāhīṃ. mahā mudita mana sukha na samāhīṃ..
purabāsinha taba rāya jōhārē. dēkhata rāmahi bhaē sukhārē..
karahiṃ nichāvari manigana cīrā. bāri bilōcana pulaka sarīrā..
ārati karahiṃ mudita pura nārī. haraṣahiṃ nirakhi kuomara bara cārī..
sibikā subhaga ōhāra ughārī. dēkhi dulahininha hōhiṃ sukhārī..

7.1.348

चौपाई
ਮਾਗਧ ਸੂਤ ਬਂਦਿ ਨਟ ਨਾਗਰ। ਗਾਵਹਿਂ ਜਸੁ ਤਿਹੁ ਲੋਕ ਉਜਾਗਰ।।
ਜਯ ਧੁਨਿ ਬਿਮਲ ਬੇਦ ਬਰ ਬਾਨੀ। ਦਸ ਦਿਸਿ ਸੁਨਿਅ ਸੁਮਂਗਲ ਸਾਨੀ।।
ਬਿਪੁਲ ਬਾਜਨੇ ਬਾਜਨ ਲਾਗੇ। ਨਭ ਸੁਰ ਨਗਰ ਲੋਗ ਅਨੁਰਾਗੇ।।
ਬਨੇ ਬਰਾਤੀ ਬਰਨਿ ਨ ਜਾਹੀਂ। ਮਹਾ ਮੁਦਿਤ ਮਨ ਸੁਖ ਨ ਸਮਾਹੀਂ।।
ਪੁਰਬਾਸਿਨ੍ਹ ਤਬ ਰਾਯ ਜੋਹਾਰੇ। ਦੇਖਤ ਰਾਮਹਿ ਭਏ ਸੁਖਾਰੇ।।
ਕਰਹਿਂ ਨਿਛਾਵਰਿ ਮਨਿਗਨ ਚੀਰਾ। ਬਾਰਿ ਬਿਲੋਚਨ ਪੁਲਕ ਸਰੀਰਾ।।
ਆਰਤਿ ਕਰਹਿਂ ਮੁਦਿਤ ਪੁਰ ਨਾਰੀ। ਹਰਸ਼ਹਿਂ ਨਿਰਖਿ ਕੁਰ ਬਰ ਚਾਰੀ।।
ਸਿਬਿਕਾ ਸੁਭਗ ਓਹਾਰ ਉਘਾਰੀ। ਦੇਖਿ ਦੁਲਹਿਨਿਨ੍ਹ ਹੋਹਿਂ ਸੁਖਾਰੀ।।

6.1.348

चौपाई
ମାଗଧ ସୂତ ବଂଦି ନଟ ନାଗର| ଗାବହିଂ ଜସୁ ତିହୁ ଲୋକ ଉଜାଗର||
ଜଯ ଧୁନି ବିମଲ ବେଦ ବର ବାନୀ| ଦସ ଦିସି ସୁନିଅ ସୁମଂଗଲ ସାନୀ||
ବିପୁଲ ବାଜନେ ବାଜନ ଲାଗେ| ନଭ ସୁର ନଗର ଲୋଗ ଅନୁରାଗେ||
ବନେ ବରାତୀ ବରନି ନ ଜାହୀଂ| ମହା ମୁଦିତ ମନ ସୁଖ ନ ସମାହୀଂ||
ପୁରବାସିନ୍ହ ତବ ରାଯ ଜୋହାରେ| ଦେଖତ ରାମହି ଭଏ ସୁଖାରେ||
କରହିଂ ନିଛାବରି ମନିଗନ ଚୀରା| ବାରି ବିଲୋଚନ ପୁଲକ ସରୀରା||
ଆରତି କରହିଂ ମୁଦିତ ପୁର ନାରୀ| ହରଷହିଂ ନିରଖି କୁର ବର ଚାରୀ||
ସିବିକା ସୁଭଗ ଓହାର ଉଘାରୀ| ଦେଖି ଦୁଲହିନିନ୍ହ ହୋହିଂ ସୁଖାରୀ||

5.1.348

चौपाई
മാഗധ സൂത ബംദി നട നാഗര. ഗാവഹിം ജസു തിഹു ലോക ഉജാഗര..
ജയ ധുനി ബിമല ബേദ ബര ബാനീ. ദസ ദിസി സുനിഅ സുമംഗല സാനീ..
ബിപുല ബാജനേ ബാജന ലാഗേ. നഭ സുര നഗര ലോഗ അനുരാഗേ..
ബനേ ബരാതീ ബരനി ന ജാഹീം. മഹാ മുദിത മന സുഖ ന സമാഹീം..
പുരബാസിന്ഹ തബ രായ ജോഹാരേ. ദേഖത രാമഹി ഭഏ സുഖാരേ..
കരഹിം നിഛാവരി മനിഗന ചീരാ. ബാരി ബിലോചന പുലക സരീരാ..
ആരതി കരഹിം മുദിത പുര നാരീ. ഹരഷഹിം നിരഖി കുര ബര ചാരീ..
സിബികാ സുഭഗ ഓഹാര ഉഘാരീ. ദേഖി ദുലഹിനിന്ഹ ഹോഹിം സുഖാരീ..

4.1.348

चौपाई
ಮಾಗಧ ಸೂತ ಬಂದಿ ನಟ ನಾಗರ. ಗಾವಹಿಂ ಜಸು ತಿಹು ಲೋಕ ಉಜಾಗರ..
ಜಯ ಧುನಿ ಬಿಮಲ ಬೇದ ಬರ ಬಾನೀ. ದಸ ದಿಸಿ ಸುನಿಅ ಸುಮಂಗಲ ಸಾನೀ..
ಬಿಪುಲ ಬಾಜನೇ ಬಾಜನ ಲಾಗೇ. ನಭ ಸುರ ನಗರ ಲೋಗ ಅನುರಾಗೇ..
ಬನೇ ಬರಾತೀ ಬರನಿ ನ ಜಾಹೀಂ. ಮಹಾ ಮುದಿತ ಮನ ಸುಖ ನ ಸಮಾಹೀಂ..
ಪುರಬಾಸಿನ್ಹ ತಬ ರಾಯ ಜೋಹಾರೇ. ದೇಖತ ರಾಮಹಿ ಭಏ ಸುಖಾರೇ..
ಕರಹಿಂ ನಿಛಾವರಿ ಮನಿಗನ ಚೀರಾ. ಬಾರಿ ಬಿಲೋಚನ ಪುಲಕ ಸರೀರಾ..
ಆರತಿ ಕರಹಿಂ ಮುದಿತ ಪುರ ನಾರೀ. ಹರಷಹಿಂ ನಿರಖಿ ಕುರ ಬರ ಚಾರೀ..
ಸಿಬಿಕಾ ಸುಭಗ ಓಹಾರ ಉಘಾರೀ. ದೇಖಿ ದುಲಹಿನಿನ್ಹ ಹೋಹಿಂ ಸುಖಾರೀ..

3.1.348

चौपाई
માગધ સૂત બંદિ નટ નાગર। ગાવહિં જસુ તિહુ લોક ઉજાગર।।
જય ધુનિ બિમલ બેદ બર બાની। દસ દિસિ સુનિઅ સુમંગલ સાની।।
બિપુલ બાજને બાજન લાગે। નભ સુર નગર લોગ અનુરાગે।।
બને બરાતી બરનિ ન જાહીં। મહા મુદિત મન સુખ ન સમાહીં।।
પુરબાસિન્હ તબ રાય જોહારે। દેખત રામહિ ભએ સુખારે।।
કરહિં નિછાવરિ મનિગન ચીરા। બારિ બિલોચન પુલક સરીરા।।
આરતિ કરહિં મુદિત પુર નારી। હરષહિં નિરખિ કુર બર ચારી।।
સિબિકા સુભગ ઓહાર ઉઘારી। દેખિ દુલહિનિન્હ હોહિં સુખારી।।

2.1.348

चौपाई
মাগধ সূত বংদি নট নাগর৷ গাবহিং জসু তিহু লোক উজাগর৷৷
জয ধুনি বিমল বেদ বর বানী৷ দস দিসি সুনিঅ সুমংগল সানী৷৷
বিপুল বাজনে বাজন লাগে৷ নভ সুর নগর লোগ অনুরাগে৷৷
বনে বরাতী বরনি ন জাহীং৷ মহা মুদিত মন সুখ ন সমাহীং৷৷
পুরবাসিন্হ তব রায জোহারে৷ দেখত রামহি ভএ সুখারে৷৷
করহিং নিছাবরি মনিগন চীরা৷ বারি বিলোচন পুলক সরীরা৷৷
আরতি করহিং মুদিত পুর নারী৷ হরষহিং নিরখি কুর বর চারী৷৷
সিবিকা সুভগ ওহার উঘারী৷ দেখি দুলহিনিন্হ হোহিং সুখারী৷৷

1.1.348

चौपाई
मागध सूत बंदि नट नागर। गावहिं जसु तिहु लोक उजागर।।
जय धुनि बिमल बेद बर बानी। दस दिसि सुनिअ सुमंगल सानी।।
बिपुल बाजने बाजन लागे। नभ सुर नगर लोग अनुरागे।।
बने बराती बरनि न जाहीं। महा मुदित मन सुख न समाहीं।।
पुरबासिन्ह तब राय जोहारे। देखत रामहि भए सुखारे।।
करहिं निछावरि मनिगन चीरा। बारि बिलोचन पुलक सरीरा।।
आरति करहिं मुदित पुर नारी। हरषहिं निरखि कुँअर बर चारी।।
सिबिका सुभग ओहार उघारी। देखि दुलहिनिन्ह होहिं सुखारी।।

दोहा/सोरठा

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