61

3.2.61

चौपाई
માતુ સમીપ કહત સકુચાહીં। બોલે સમઉ સમુઝિ મન માહીં।।
રાજકુમારિ સિખાવન સુનહૂ। આન ભાિ જિયજનિ કછુ ગુનહૂ।।
આપન મોર નીક જૌં ચહહૂ। બચનુ હમાર માનિ ગૃહ રહહૂ।।
આયસુ મોર સાસુ સેવકાઈ। સબ બિધિ ભામિનિ ભવન ભલાઈ।।
એહિ તે અધિક ધરમુ નહિં દૂજા। સાદર સાસુ સસુર પદ પૂજા।।
જબ જબ માતુ કરિહિ સુધિ મોરી। હોઇહિ પ્રેમ બિકલ મતિ ભોરી।।
તબ તબ તુમ્હ કહિ કથા પુરાની। સુંદરિ સમુઝાએહુ મૃદુ બાની।।
કહઉસુભાયસપથ સત મોહી। સુમુખિ માતુ હિત રાખઉતોહી।।

3.1.61

चौपाई
કિંનર નાગ સિદ્ધ ગંધર્બા। બધુન્હ સમેત ચલે સુર સર્બા।।
બિષ્નુ બિરંચિ મહેસુ બિહાઈ। ચલે સકલ સુર જાન બનાઈ।।
સતીં બિલોકે બ્યોમ બિમાના। જાત ચલે સુંદર બિધિ નાના।।
સુર સુંદરી કરહિં કલ ગાના। સુનત શ્રવન છૂટહિં મુનિ ધ્યાના।।
પૂછેઉ તબ સિવકહેઉ બખાની। પિતા જગ્ય સુનિ કછુ હરષાની।।
જૌં મહેસુ મોહિ આયસુ દેહીં। કુછ દિન જાઇ રહૌં મિસ એહીં।।
પતિ પરિત્યાગ હૃદય દુખુ ભારી। કહઇ ન નિજ અપરાધ બિચારી।।
બોલી સતી મનોહર બાની। ભય સંકોચ પ્રેમ રસ સાની।।

2.7.61

चौपाई
তেহিং মম পদ সাদর সিরু নাবা৷ পুনি আপন সংদেহ সুনাবা৷৷
সুনি তা করি বিনতী মৃদু বানী৷ পরেম সহিত মৈং কহেউভবানী৷৷
মিলেহু গরুড় মারগ মহমোহী৷ কবন ভাি সমুঝাবৌং তোহী৷৷
তবহি হোই সব সংসয ভংগা৷ জব বহু কাল করিঅ সতসংগা৷৷
সুনিঅ তহাহরি কথা সুহাঈ৷ নানা ভাি মুনিন্হ জো গাঈ৷৷
জেহি মহুআদি মধ্য অবসানা৷ প্রভু প্রতিপাদ্য রাম ভগবানা৷৷
নিত হরি কথা হোত জহভাঈ৷ পঠবউতহাসুনহি তুম্হ জাঈ৷৷
জাইহি সুনত সকল সংদেহা৷ রাম চরন হোইহি অতি নেহা৷৷

2.6.61

चौपाई
উহারাম লছিমনহিং নিহারী৷ বোলে বচন মনুজ অনুসারী৷৷
অর্ধ রাতি গই কপি নহিং আযউ৷ রাম উঠাই অনুজ উর লাযউ৷৷
সকহু ন দুখিত দেখি মোহি কাঊ৷ বংধু সদা তব মৃদুল সুভাঊ৷৷
মম হিত লাগি তজেহু পিতু মাতা৷ সহেহু বিপিন হিম আতপ বাতা৷৷
সো অনুরাগ কহাঅব ভাঈ৷ উঠহু ন সুনি মম বচ বিকলাঈ৷৷
জৌং জনতেউবন বংধু বিছোহূ৷ পিতা বচন মনতেউনহিং ওহূ৷৷
সুত বিত নারি ভবন পরিবারা৷ হোহিং জাহিং জগ বারহিং বারা৷৷
অস বিচারি জিযজাগহু তাতা৷ মিলই ন জগত সহোদর ভ্রাতা৷৷
জথা পংখ বিনু খগ অতি দীনা৷ মনি বিনু ফনি করিবর কর হীনা৷৷

2.2.61

चौपाई
মাতু সমীপ কহত সকুচাহীং৷ বোলে সমউ সমুঝি মন মাহীং৷৷
রাজকুমারি সিখাবন সুনহূ৷ আন ভাি জিযজনি কছু গুনহূ৷৷
আপন মোর নীক জৌং চহহূ৷ বচনু হমার মানি গৃহ রহহূ৷৷
আযসু মোর সাসু সেবকাঈ৷ সব বিধি ভামিনি ভবন ভলাঈ৷৷
এহি তে অধিক ধরমু নহিং দূজা৷ সাদর সাসু সসুর পদ পূজা৷৷
জব জব মাতু করিহি সুধি মোরী৷ হোইহি প্রেম বিকল মতি ভোরী৷৷
তব তব তুম্হ কহি কথা পুরানী৷ সুংদরি সমুঝাএহু মৃদু বানী৷৷
কহউসুভাযসপথ সত মোহী৷ সুমুখি মাতু হিত রাখউতোহী৷৷

2.1.61

चौपाई
কিংনর নাগ সিদ্ধ গংধর্বা৷ বধুন্হ সমেত চলে সুর সর্বা৷৷
বিষ্নু বিরংচি মহেসু বিহাঈ৷ চলে সকল সুর জান বনাঈ৷৷
সতীং বিলোকে ব্যোম বিমানা৷ জাত চলে সুংদর বিধি নানা৷৷
সুর সুংদরী করহিং কল গানা৷ সুনত শ্রবন ছূটহিং মুনি ধ্যানা৷৷
পূছেউ তব সিবকহেউ বখানী৷ পিতা জগ্য সুনি কছু হরষানী৷৷
জৌং মহেসু মোহি আযসু দেহীং৷ কুছ দিন জাই রহৌং মিস এহীং৷৷
পতি পরিত্যাগ হৃদয দুখু ভারী৷ কহই ন নিজ অপরাধ বিচারী৷৷
বোলী সতী মনোহর বানী৷ ভয সংকোচ প্রেম রস সানী৷৷

1.7.61

चौपाई
तेहिं मम पद सादर सिरु नावा। पुनि आपन संदेह सुनावा।।
सुनि ता करि बिनती मृदु बानी। परेम सहित मैं कहेउँ भवानी।।
मिलेहु गरुड़ मारग महँ मोही। कवन भाँति समुझावौं तोही।।
तबहि होइ सब संसय भंगा। जब बहु काल करिअ सतसंगा।।
सुनिअ तहाँ हरि कथा सुहाई। नाना भाँति मुनिन्ह जो गाई।।
जेहि महुँ आदि मध्य अवसाना। प्रभु प्रतिपाद्य राम भगवाना।।
नित हरि कथा होत जहँ भाई। पठवउँ तहाँ सुनहि तुम्ह जाई।।
जाइहि सुनत सकल संदेहा। राम चरन होइहि अति नेहा।।

1.6.61

चौपाई
उहाँ राम लछिमनहिं निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।।
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ।।
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ।।
मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।।
सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई।।
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।
सुत बित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा।।
अस बिचारि जियँ जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता।।
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।।

1.2.61

चौपाई
मातु समीप कहत सकुचाहीं। बोले समउ समुझि मन माहीं।।
राजकुमारि सिखावन सुनहू। आन भाँति जियँ जनि कछु गुनहू।।
आपन मोर नीक जौं चहहू। बचनु हमार मानि गृह रहहू।।
आयसु मोर सासु सेवकाई। सब बिधि भामिनि भवन भलाई।।
एहि ते अधिक धरमु नहिं दूजा। सादर सासु ससुर पद पूजा।।
जब जब मातु करिहि सुधि मोरी। होइहि प्रेम बिकल मति भोरी।।
तब तब तुम्ह कहि कथा पुरानी। सुंदरि समुझाएहु मृदु बानी।।
कहउँ सुभायँ सपथ सत मोही। सुमुखि मातु हित राखउँ तोही।।

दोहा/सोरठा

1.1.61

चौपाई
किंनर नाग सिद्ध गंधर्बा। बधुन्ह समेत चले सुर सर्बा।।
बिष्नु बिरंचि महेसु बिहाई। चले सकल सुर जान बनाई।।
सतीं बिलोके ब्योम बिमाना। जात चले सुंदर बिधि नाना।।
सुर सुंदरी करहिं कल गाना। सुनत श्रवन छूटहिं मुनि ध्याना।।
पूछेउ तब सिवँ कहेउ बखानी। पिता जग्य सुनि कछु हरषानी।।
जौं महेसु मोहि आयसु देहीं। कुछ दिन जाइ रहौं मिस एहीं।।
पति परित्याग हृदय दुखु भारी। कहइ न निज अपराध बिचारी।।
बोली सती मनोहर बानी। भय संकोच प्रेम रस सानी।।

दोहा/सोरठा

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