76

3.2.76

चौपाई
ગએ લખનુ જહજાનકિનાથૂ। ભે મન મુદિત પાઇ પ્રિય સાથૂ।।
બંદિ રામ સિય ચરન સુહાએ। ચલે સંગ નૃપમંદિર આએ।।
કહહિં પરસપર પુર નર નારી। ભલિ બનાઇ બિધિ બાત બિગારી।।
તન કૃસ દુખુ બદન મલીને। બિકલ મનહુમાખી મધુ છીને।।
કર મીજહિં સિરુ ધુનિ પછિતાહીં। જનુ બિન પંખ બિહગ અકુલાહીં।।
ભઇ બડ઼િ ભીર ભૂપ દરબારા। બરનિ ન જાઇ બિષાદુ અપારા।।
સચિવઉઠાઇ રાઉ બૈઠારે। કહિ પ્રિય બચન રામુ પગુ ધારે।।
સિય સમેત દોઉ તનય નિહારી। બ્યાકુલ ભયઉ ભૂમિપતિ ભારી।।

3.1.76

चौपाई
કતહુમુનિન્હ ઉપદેસહિં ગ્યાના। કતહુરામ ગુન કરહિં બખાના।।
જદપિ અકામ તદપિ ભગવાના। ભગત બિરહ દુખ દુખિત સુજાના।।
એહિ બિધિ ગયઉ કાલુ બહુ બીતી। નિત નૈ હોઇ રામ પદ પ્રીતી।।
નૈમુ પ્રેમુ સંકર કર દેખા। અબિચલ હૃદયભગતિ કૈ રેખા।।
પ્રગટૈ રામુ કૃતગ્ય કૃપાલા। રૂપ સીલ નિધિ તેજ બિસાલા।।
બહુ પ્રકાર સંકરહિ સરાહા। તુમ્હ બિનુ અસ બ્રતુ કો નિરબાહા।।
બહુબિધિ રામ સિવહિ સમુઝાવા। પારબતી કર જન્મુ સુનાવા।।
અતિ પુનીત ગિરિજા કૈ કરની। બિસ્તર સહિત કૃપાનિધિ બરની।।

2.7.76

चौपाई
কহই ভসুংড সুনহু খগনাযক৷ রামচরিত সেবক সুখদাযক৷৷
নৃপমংদির সুংদর সব ভাী৷ খচিত কনক মনি নানা জাতী৷৷
বরনি ন জাই রুচির অনাঈ৷ জহখেলহিং নিত চারিউ ভাঈ৷৷
বালবিনোদ করত রঘুরাঈ৷ বিচরত অজির জননি সুখদাঈ৷৷
মরকত মৃদুল কলেবর স্যামা৷ অংগ অংগ প্রতি ছবি বহু কামা৷৷
নব রাজীব অরুন মৃদু চরনা৷ পদজ রুচির নখ সসি দুতি হরনা৷৷
ললিত অংক কুলিসাদিক চারী৷ নূপুর চারূ মধুর রবকারী৷৷
চারু পুরট মনি রচিত বনাঈ৷ কটি কিংকিন কল মুখর সুহাঈ৷৷

2.6.76

चौपाई
জাই কপিন্হ সো দেখা বৈসা৷ আহুতি দেত রুধির অরু ভৈংসা৷৷
কীন্হ কপিন্হ সব জগ্য বিধংসা৷ জব ন উঠই তব করহিং প্রসংসা৷৷
তদপি ন উঠই ধরেন্হি কচ জাঈ৷ লাতন্হি হতি হতি চলে পরাঈ৷৷
লৈ ত্রিসুল ধাবা কপি ভাগে৷ আএ জহরামানুজ আগে৷৷
আবা পরম ক্রোধ কর মারা৷ গর্জ ঘোর রব বারহিং বারা৷৷
কোপি মরুতসুত অংগদ ধাএ৷ হতি ত্রিসূল উর ধরনি গিরাএ৷৷
প্রভু কহছা়েসি সূল প্রচংডা৷ সর হতি কৃত অনংত জুগ খংডা৷৷
উঠি বহোরি মারুতি জুবরাজা৷ হতহিং কোপি তেহি ঘাউ ন বাজা৷৷
ফিরে বীর রিপু মরই ন মারা৷ তব ধাবা করি ঘোর চিকারা৷৷

2.2.76

चौपाई
গএ লখনু জহজানকিনাথূ৷ ভে মন মুদিত পাই প্রিয সাথূ৷৷
বংদি রাম সিয চরন সুহাএ৷ চলে সংগ নৃপমংদির আএ৷৷
কহহিং পরসপর পুর নর নারী৷ ভলি বনাই বিধি বাত বিগারী৷৷
তন কৃস দুখু বদন মলীনে৷ বিকল মনহুমাখী মধু ছীনে৷৷
কর মীজহিং সিরু ধুনি পছিতাহীং৷ জনু বিন পংখ বিহগ অকুলাহীং৷৷
ভই বড়ি ভীর ভূপ দরবারা৷ বরনি ন জাই বিষাদু অপারা৷৷
সচিবউঠাই রাউ বৈঠারে৷ কহি প্রিয বচন রামু পগু ধারে৷৷
সিয সমেত দোউ তনয নিহারী৷ ব্যাকুল ভযউ ভূমিপতি ভারী৷৷

2.1.76

चौपाई
কতহুমুনিন্হ উপদেসহিং গ্যানা৷ কতহুরাম গুন করহিং বখানা৷৷
জদপি অকাম তদপি ভগবানা৷ ভগত বিরহ দুখ দুখিত সুজানা৷৷
এহি বিধি গযউ কালু বহু বীতী৷ নিত নৈ হোই রাম পদ প্রীতী৷৷
নৈমু প্রেমু সংকর কর দেখা৷ অবিচল হৃদযভগতি কৈ রেখা৷৷
প্রগটৈ রামু কৃতগ্য কৃপালা৷ রূপ সীল নিধি তেজ বিসালা৷৷
বহু প্রকার সংকরহি সরাহা৷ তুম্হ বিনু অস ব্রতু কো নিরবাহা৷৷
বহুবিধি রাম সিবহি সমুঝাবা৷ পারবতী কর জন্মু সুনাবা৷৷
অতি পুনীত গিরিজা কৈ করনী৷ বিস্তর সহিত কৃপানিধি বরনী৷৷

1.7.76

चौपाई
कहइ भसुंड सुनहु खगनायक। रामचरित सेवक सुखदायक।।
नृपमंदिर सुंदर सब भाँती। खचित कनक मनि नाना जाती।।
बरनि न जाइ रुचिर अँगनाई। जहँ खेलहिं नित चारिउ भाई।।
बालबिनोद करत रघुराई। बिचरत अजिर जननि सुखदाई।।
मरकत मृदुल कलेवर स्यामा। अंग अंग प्रति छबि बहु कामा।।
नव राजीव अरुन मृदु चरना। पदज रुचिर नख ससि दुति हरना।।
ललित अंक कुलिसादिक चारी। नूपुर चारू मधुर रवकारी।।
चारु पुरट मनि रचित बनाई। कटि किंकिन कल मुखर सुहाई।।

1.6.76

चौपाई
जाइ कपिन्ह सो देखा बैसा। आहुति देत रुधिर अरु भैंसा।।
कीन्ह कपिन्ह सब जग्य बिधंसा। जब न उठइ तब करहिं प्रसंसा।।
तदपि न उठइ धरेन्हि कच जाई। लातन्हि हति हति चले पराई।।
लै त्रिसुल धावा कपि भागे। आए जहँ रामानुज आगे।।
आवा परम क्रोध कर मारा। गर्ज घोर रव बारहिं बारा।।
कोपि मरुतसुत अंगद धाए। हति त्रिसूल उर धरनि गिराए।।
प्रभु कहँ छाँड़ेसि सूल प्रचंडा। सर हति कृत अनंत जुग खंडा।।
उठि बहोरि मारुति जुबराजा। हतहिं कोपि तेहि घाउ न बाजा।।
फिरे बीर रिपु मरइ न मारा। तब धावा करि घोर चिकारा।।

1.2.76

चौपाई
गए लखनु जहँ जानकिनाथू। भे मन मुदित पाइ प्रिय साथू।।
बंदि राम सिय चरन सुहाए। चले संग नृपमंदिर आए।।
कहहिं परसपर पुर नर नारी। भलि बनाइ बिधि बात बिगारी।।
तन कृस दुखु बदन मलीने। बिकल मनहुँ माखी मधु छीने।।
कर मीजहिं सिरु धुनि पछिताहीं। जनु बिन पंख बिहग अकुलाहीं।।
भइ बड़ि भीर भूप दरबारा। बरनि न जाइ बिषादु अपारा।।
सचिवँ उठाइ राउ बैठारे। कहि प्रिय बचन रामु पगु धारे।।
सिय समेत दोउ तनय निहारी। ब्याकुल भयउ भूमिपति भारी।।

दोहा/सोरठा

1.1.76

चौपाई
कतहुँ मुनिन्ह उपदेसहिं ग्याना। कतहुँ राम गुन करहिं बखाना।।
जदपि अकाम तदपि भगवाना। भगत बिरह दुख दुखित सुजाना।।
एहि बिधि गयउ कालु बहु बीती। नित नै होइ राम पद प्रीती।।
नैमु प्रेमु संकर कर देखा। अबिचल हृदयँ भगति कै रेखा।।
प्रगटै रामु कृतग्य कृपाला। रूप सील निधि तेज बिसाला।।
बहु प्रकार संकरहि सराहा। तुम्ह बिनु अस ब्रतु को निरबाहा।।
बहुबिधि राम सिवहि समुझावा। पारबती कर जन्मु सुनावा।।
अति पुनीत गिरिजा कै करनी। बिस्तर सहित कृपानिधि बरनी।।

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