91

3.2.91

चौपाई
બિબિધ બસન ઉપધાન તુરાઈ। છીર ફેન મૃદુ બિસદ સુહાઈ।।
તહસિય રામુ સયન નિસિ કરહીં। નિજ છબિ રતિ મનોજ મદુ હરહીં।।
તે સિય રામુ સાથરીં સોએ। શ્રમિત બસન બિનુ જાહિં ન જોએ।।
માતુ પિતા પરિજન પુરબાસી। સખા સુસીલ દાસ અરુ દાસી।।
જોગવહિં જિન્હહિ પ્રાન કી નાઈ। મહિ સોવત તેઇ રામ ગોસાઈં।।
પિતા જનક જગ બિદિત પ્રભાઊ। સસુર સુરેસ સખા રઘુરાઊ।।
રામચંદુ પતિ સો બૈદેહી। સોવત મહિ બિધિ બામ ન કેહી।।
સિય રઘુબીર કિ કાનન જોગૂ। કરમ પ્રધાન સત્ય કહ લોગૂ।।

3.1.91

चौपाई
સબુ પ્રસંગુ ગિરિપતિહિ સુનાવા। મદન દહન સુનિ અતિ દુખુ પાવા।।
બહુરિ કહેઉ રતિ કર બરદાના। સુનિ હિમવંત બહુત સુખુ માના।।
હૃદયબિચારિ સંભુ પ્રભુતાઈ। સાદર મુનિબર લિએ બોલાઈ।।
સુદિનુ સુનખતુ સુઘરી સોચાઈ। બેગિ બેદબિધિ લગન ધરાઈ।।
પત્રી સપ્તરિષિન્હ સોઇ દીન્હી। ગહિ પદ બિનય હિમાચલ કીન્હી।।
જાઇ બિધિહિ દીન્હિ સો પાતી। બાચત પ્રીતિ ન હૃદયસમાતી।।
લગન બાચિ અજ સબહિ સુનાઈ। હરષે મુનિ સબ સુર સમુદાઈ।।
સુમન બૃષ્ટિ નભ બાજન બાજે। મંગલ કલસ દસહુદિસિ સાજે।।

2.7.91

चौपाई
নিজ মতি সরিস নাথ মৈং গাঈ৷ প্রভু প্রতাপ মহিমা খগরাঈ৷৷
কহেউন কছু করি জুগুতি বিসেষী৷ যহ সব মৈং নিজ নযনন্হি দেখী৷৷
মহিমা নাম রূপ গুন গাথা৷ সকল অমিত অনংত রঘুনাথা৷৷
নিজ নিজ মতি মুনি হরি গুন গাবহিং৷ নিগম সেষ সিব পার ন পাবহিং৷৷
তুম্হহি আদি খগ মসক প্রজংতা৷ নভ উড়াহিং নহিং পাবহিং অংতা৷৷
তিমি রঘুপতি মহিমা অবগাহা৷ তাত কবহুকোউ পাব কি থাহা৷৷
রামু কাম সত কোটি সুভগ তন৷ দুর্গা কোটি অমিত অরি মর্দন৷৷
সক্র কোটি সত সরিস বিলাসা৷ নভ সত কোটি অমিত অবকাসা৷৷

2.6.91

चौपाई
কহি দুর্বচন ক্রুদ্ধ দসকংধর৷ কুলিস সমান লাগ ছা়ৈ সর৷৷
নানাকার সিলীমুখ ধাএ৷ দিসি অরু বিদিস গগন মহি ছাএ৷৷
পাবক সর ছা়েউ রঘুবীরা৷ ছন মহুজরে নিসাচর তীরা৷৷
ছাড়িসি তীব্র সক্তি খিসিআঈ৷ বান সংগ প্রভু ফেরি চলাঈ৷৷
কোটিক চক্র ত্রিসূল পবারৈ৷ বিনু প্রযাস প্রভু কাটি নিবারৈ৷৷
নিফল হোহিং রাবন সর কৈসেং৷ খল কে সকল মনোরথ জৈসেং৷৷
তব সত বান সারথী মারেসি৷ পরেউ ভূমি জয রাম পুকারেসি৷৷
রাম কৃপা করি সূত উঠাবা৷ তব প্রভু পরম ক্রোধ কহুপাবা৷৷

2.2.91

चौपाई
বিবিধ বসন উপধান তুরাঈ৷ ছীর ফেন মৃদু বিসদ সুহাঈ৷৷
তহসিয রামু সযন নিসি করহীং৷ নিজ ছবি রতি মনোজ মদু হরহীং৷৷
তে সিয রামু সাথরীং সোএ৷ শ্রমিত বসন বিনু জাহিং ন জোএ৷৷
মাতু পিতা পরিজন পুরবাসী৷ সখা সুসীল দাস অরু দাসী৷৷
জোগবহিং জিন্হহি প্রান কী নাঈ৷ মহি সোবত তেই রাম গোসাঈং৷৷
পিতা জনক জগ বিদিত প্রভাঊ৷ সসুর সুরেস সখা রঘুরাঊ৷৷
রামচংদু পতি সো বৈদেহী৷ সোবত মহি বিধি বাম ন কেহী৷৷
সিয রঘুবীর কি কানন জোগূ৷ করম প্রধান সত্য কহ লোগূ৷৷

2.1.91

चौपाई
সবু প্রসংগু গিরিপতিহি সুনাবা৷ মদন দহন সুনি অতি দুখু পাবা৷৷
বহুরি কহেউ রতি কর বরদানা৷ সুনি হিমবংত বহুত সুখু মানা৷৷
হৃদযবিচারি সংভু প্রভুতাঈ৷ সাদর মুনিবর লিএ বোলাঈ৷৷
সুদিনু সুনখতু সুঘরী সোচাঈ৷ বেগি বেদবিধি লগন ধরাঈ৷৷
পত্রী সপ্তরিষিন্হ সোই দীন্হী৷ গহি পদ বিনয হিমাচল কীন্হী৷৷
জাই বিধিহি দীন্হি সো পাতী৷ বাচত প্রীতি ন হৃদযসমাতী৷৷
লগন বাচি অজ সবহি সুনাঈ৷ হরষে মুনি সব সুর সমুদাঈ৷৷
সুমন বৃষ্টি নভ বাজন বাজে৷ মংগল কলস দসহুদিসি সাজে৷৷

1.7.91

चौपाई
निज मति सरिस नाथ मैं गाई। प्रभु प्रताप महिमा खगराई।।
कहेउँ न कछु करि जुगुति बिसेषी। यह सब मैं निज नयनन्हि देखी।।
महिमा नाम रूप गुन गाथा। सकल अमित अनंत रघुनाथा।।
निज निज मति मुनि हरि गुन गावहिं। निगम सेष सिव पार न पावहिं।।
तुम्हहि आदि खग मसक प्रजंता। नभ उड़ाहिं नहिं पावहिं अंता।।
तिमि रघुपति महिमा अवगाहा। तात कबहुँ कोउ पाव कि थाहा।।
रामु काम सत कोटि सुभग तन। दुर्गा कोटि अमित अरि मर्दन।।
सक्र कोटि सत सरिस बिलासा। नभ सत कोटि अमित अवकासा।।

1.6.91

चौपाई
कहि दुर्बचन क्रुद्ध दसकंधर। कुलिस समान लाग छाँड़ै सर।।
नानाकार सिलीमुख धाए। दिसि अरु बिदिस गगन महि छाए।।
पावक सर छाँड़ेउ रघुबीरा। छन महुँ जरे निसाचर तीरा।।
छाड़िसि तीब्र सक्ति खिसिआई। बान संग प्रभु फेरि चलाई।।
कोटिक चक्र त्रिसूल पबारै। बिनु प्रयास प्रभु काटि निवारै।।
निफल होहिं रावन सर कैसें। खल के सकल मनोरथ जैसें।।
तब सत बान सारथी मारेसि। परेउ भूमि जय राम पुकारेसि।।
राम कृपा करि सूत उठावा। तब प्रभु परम क्रोध कहुँ पावा।।

1.2.91

चौपाई
बिबिध बसन उपधान तुराई। छीर फेन मृदु बिसद सुहाई।।
तहँ सिय रामु सयन निसि करहीं। निज छबि रति मनोज मदु हरहीं।।
ते सिय रामु साथरीं सोए। श्रमित बसन बिनु जाहिं न जोए।।
मातु पिता परिजन पुरबासी। सखा सुसील दास अरु दासी।।
जोगवहिं जिन्हहि प्रान की नाई। महि सोवत तेइ राम गोसाईं।।
पिता जनक जग बिदित प्रभाऊ। ससुर सुरेस सखा रघुराऊ।।
रामचंदु पति सो बैदेही। सोवत महि बिधि बाम न केही।।
सिय रघुबीर कि कानन जोगू। करम प्रधान सत्य कह लोगू।।

दोहा/सोरठा

1.1.91

चौपाई
सबु प्रसंगु गिरिपतिहि सुनावा। मदन दहन सुनि अति दुखु पावा।।
बहुरि कहेउ रति कर बरदाना। सुनि हिमवंत बहुत सुखु माना।।
हृदयँ बिचारि संभु प्रभुताई। सादर मुनिबर लिए बोलाई।।
सुदिनु सुनखतु सुघरी सोचाई। बेगि बेदबिधि लगन धराई।।
पत्री सप्तरिषिन्ह सोइ दीन्ही। गहि पद बिनय हिमाचल कीन्ही।।
जाइ बिधिहि दीन्हि सो पाती। बाचत प्रीति न हृदयँ समाती।।
लगन बाचि अज सबहि सुनाई। हरषे मुनि सब सुर समुदाई।।
सुमन बृष्टि नभ बाजन बाजे। मंगल कलस दसहुँ दिसि साजे।।

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